सूरत : एनटीपीसी कवास के सीएसआर कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित छात्रों ने जोन स्तर पर रचा इतिहास

जोन स्तरीय कला महाकुंभ में तृतीय स्थान हांसिल कर लोकनृत्य परंपरा में गुजरात का नाम रोशन किया

सूरत : एनटीपीसी कवास के सीएसआर कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित छात्रों ने जोन स्तर पर रचा इतिहास

एनटीपीसी कवास के नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों ने 11 फरवरी 2025 को आयोजित जोन/दक्षिण गुजरात स्तर पर आयोजित कला महाकुंभ में गुजरात के रास नृत्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। दक्षिण गुजरात स्तरीय कला महाकुंभ प्रतियोगिता में सुवाली प्राथमिक शाला के छात्रों ने तृतीय स्थान हासिल कर लोकनृत्य परंपरा में गुजरात का नाम रोशन कर दिया है।   

एनटीपीसी कवास की पहल ‘रमझट 2.0’ के अंतर्गत प्रशिक्षित छात्रों ने कला महाकुंभ प्रतियोगिता की जोन स्तरीय प्रतियोगिता में अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। दक्षिण गुजरात स्तर पर तृतीय स्थान हासिल करना न केवल सुवाली प्राथमिक शाला के छात्रों के लिए, बल्कि स्कूल और एनटीपीसी कवास के लिए बेहद गर्व का विषय है।

बता दें कि इससे पहले 18 जनवरी को स्थानीय और पारंपरिक नृत्यों को प्रोत्साहित करने के लिए जिला स्तरीय कला महाकुंभ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें सुवाली प्राथमिक शाला के छात्रों ने प्रथम स्थान हासिल किया था। वहीं, एनटीपीसी कवास के सीएसआर कार्यक्रम के तहत ही प्रशिक्षण प्राप्त मोरा प्राथमिक शाला के छात्रों ने टिप्पणी लोकनृत्य में द्वितीय और कवास प्राथमिक शाला के छात्रों ने गरबा में तृतीय स्थान हासिल किया था। 

एनटीपीसी कवास की सहायता से कुछ ऐसे मिली सफलता

ऐसे लोकनृत्यों में, जिनकी प्रसिद्धि लगातार कम होती जा रही है, जोन स्तर पर तृतीय स्थान हासिल करने की यह सफलता आसान नहीं थी। छात्रों और शिक्षकों के पास नृत्य की तकनीकी समझ और प्रतियोगिता के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे। 

एनटीपीसी कवास की सीएसआर पहल ने इस स्थिति को समझते हुए प्रशिक्षण प्रदान किया। ‘रमझट 2.0’ कार्यक्रम के तहत तीन प्राथमिक शालाओं के छात्रों को करीब तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया, उन्हें शिक्षक उपलब्ध कराए गए और नृत्यों की बारीकियां सिखाई गईं। प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद, छात्रों ने यह साबित किया कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। 

प्रतियोगिता के बाद, सुवाली प्राथमिक शाला की प्रधानाचार्या ने कहा कि जहां हम इन नृत्यों के बारे में जानते भी नहीं थे, हमारे छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर पूरे गुजरात को गौरवान्वित कर दिया। हमारे छात्र लोकनृत्य सीख रहे हैं, जो हालिया समय में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। ये नृत्य हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं और गुजरात की लोक परंपराओं को जीवित रखने का कार्य करते हैं। 

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