27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी तय, केजरीवाल, सिसोदिया सहित कई दिग्गज हारे
नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता से बाहर कर 27 साल बाद धमाकेदार वापसी की।
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज सहित सत्तारूढ़ दल के कई अन्य प्रमुख नेता चुनाव हार गए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना कालकाजी विधानसभा सीट से जीत गई हैं।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा दिल्ली की 70 में से 40 सीट जीत गई है और आठ पर उसकी बढ़त बरकरार है। इस प्रकार वह 48 सीट पर जीत के साथ निर्णायक बहुमत हासिल करती दिख दिख रही है जबकि आप 22 सीट पर सिमटने के कगार पर है। एक बार फिर कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में अपना खाता खोलती नहीं दिख रही है।
अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा को 45.91 प्रतिशत जबकि आप को 43.56 प्रतिशत वोट मिले हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे ‘प्रचंड जनादेश’ बताया और कहा कि राजधानी के चौतरफा विकास और लोगों का जीवन उत्तम बनाने के लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दिल्ली के चौतरफा विकास और यहां के लोगों का जीवन उत्तम बनाने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे, यह हमारी गारंटी है। इसके साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि विकसित भारत के निर्माण में दिल्ली की अहम भूमिका हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जनशक्ति सर्वोपरि! विकास जीता, सुशासन जीता। दिल्ली के अपने सभी भाई-बहनों को भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने के लिए मेरा वंदन और अभिनंदन! आपने जो भरपूर आशीर्वाद और स्नेह दिया है, उसके लिए आप सभी का हृदय से बहुत-बहुत आभार।’’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव परिणमों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने झूठ, धोखे और भ्रष्टाचार के ‘शीशमहल’ को नेस्तनाबूत कर दिल्ली को ‘आप-दा’ मुक्त करने का काम किया है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दिल्ली ने वादाखिलाफी करने वालों को ऐसा सबक सिखाया है, जो देशभर में जनता के साथ झूठे वादे करने वालों के लिए मिसाल बनेगा। यह दिल्ली में विकास और विश्वास के एक नए युग का आरंभ है।’’
शाह ने कहा, ‘‘दिल्लीवासियों ने बता दिया कि जनता को बार-बार झूठे वादों से गुमराह नहीं किया जा सकता। जनता ने अपने वोट से गंदी यमुना, पीने का गंदा पानी, टूटी सड़कें, ओवरफ्लो होते सीवरों और हर गली में खुले शराब के ठेकों का जवाब दिया है।’’
भाजपा की सरकार बनना सुनिश्चित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर भी कयासों का दौर शुरू हो गया। इस दौड़ में नयी दिल्ली सीट पर केजरीवाल को 4,089 मतों से हराने वाले प्रवेश वर्मा एक प्रमुख दावेदार बनकर उभरे हैं। भाजपा ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे रखा था।
भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा और इस बारे में फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा।
मतगणना के रुझानों में निर्णायक बढ़त मिलते ही भाजपा मुख्यालय में समर्थकों ने जश्न की शुरुआत कर दी। समर्थकों ने ढोल बजाकर नृत्य किया और पार्टी के झंडे लहराए।
भाजपा के चुनाव चिह्न कमल के ‘कटआउट’ पकड़े हुए समर्थकों ने एक-दूसरे को भगवा रंग भी लगाया।
दिल्ली में पांच फरवरी को हुए चुनाव में 1.55 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 60.54 प्रतिशत ने मतदान किया था।
महज 675 मतों से हारने वाले सिसोदिया ने अपनी हार स्वीकार करते हुए उम्मीद जताई कि भाजपा लोगों के कल्याण के लिए काम करेगी।
अन्ना आंदोलन से नेता के रूप में उभरे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 2015 में 67 सीट जीतकर सरकार बनाई और 2020 में 62 सीट जीतकर सत्ता में धमाकेदार वापसी की थी।
इसके पहले 2013 के अपने पहले चुनाव में आप ने 28 सीट जीती थीं लेकिन वह सत्ता से दूर रह गई थी। बाद में कांग्रेस के आठ विधायकों के समर्थन से केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे।
भाजपा ने 1993 में दिल्ली में सरकार बनाई थी। उस चुनाव में उसे 49 सीट पर जीत मिली थी। इसके बाद 2020 तक हुए सभी चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा 2015 के चुनाव में सिर्फ तीन सीट पर सिमट गई थी जबकि 2020 के चुनाव में उसकी सीट संख्या बढ़कर आठ हो गई थी।
वैकल्पिक और ईमानदार राजनीति के साथ भ्रष्टाचार पर प्रहार के दावे के साथ राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को इस चुनाव से पहले कई आरोपों का भी सामना करना पड़ा और इसके कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा।
भाजपा ने शराब घोटाले से लेकर ‘शीशमहल’ बनाने जैसे आरोप लगाकर केजरीवाल और आप के कथित भ्रष्टाचार और कुशासन को दिल्ली के लिए ‘आप-दा’ से जोड़कर इस चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इन विषयों पर लगातार हमले किए।
इन आरोपों के जरिए भाजपा ने केजरीवाल की ‘कट्टर ईमानदार’ वाली छवि पर प्रहार किया और इसे जनता के बीच विमर्श का मुद्दा बनाया और साथ ही विकास के कथित ‘केजरीवाल मॉडल’ को ‘आपदा’ बताकर इसके मुकाबले विकास का ‘मोदी मॉडल’ पेश किया।
इसके तहत भाजपा ने जहां अपने संकल्प पत्र में मुफ्त बिजली, पानी सहित आप सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने के अलावा महिलाओं को 2500 रुपये का मासिक भत्ता और 10 लाख रुपये तक का ‘मुफ्त’ इलाज सहित कई अन्य वादे किए थे।
चुनाव के बीच में ही आए केंद्रीय बजट में मध्यम वर्ग को महत्वपूर्ण कर रियायतें देकर भी भाजपा ने एक बड़ा दांव चला था।
नतीजों से प्रतीत होता है कि पानी, जल निकासी और कचरा प्रबंधन जैसे जमीनी स्तर के मुद्दे और यमुना और दिल्ली का प्रदूषण का मुद्दा भी लोगों के दिमाग पर हावी रहा, जबकि मोहल्ला क्लिनिक, मॉडल स्कूल, मुफ्त पानी और बिजली के केजरीवाल के वादे फीके पड़ गए।
कांग्रेस ने भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल और आप को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ का गठन किया था। कांग्रेस और आप ने गठबंधन के तहत दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली में भाजपा को मिली जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद यहां केजरीवाल से मात खा जाती थी। भाजपा ने इस जीत के साथ उस धारणा पर भी विराम लगा दिया कि वह दिल्ली में लोकसभा की तो सभी सात सीट जीत लेती है लेकिन राजधानी के मतदाता उसे विधानसभा चुनाव में खारिज कर देते हैं।
इसलिए, भाजपा ने चुनावी घोषणाओं के अलावा इस बार अपनी रणनीति में भी बदलाव किया और किसी चेहरे को आगे नहीं किया। पहले के चुनावों में भाजपा ने एक बार पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को और एक बार पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।