अमेरिका से निर्वासित की गई गुजरात की युवती के पिता ने कहा, ‘वह सुरक्षित है, इससे बेहद खुश हूं’
अहमदाबाद, छह फरवरी (भाषा) गुजरात के वडोदरा जिले के रहने वाले जयंतीभाई पटेल अमेरिका से निर्वासित की गई अपनी बेटी को सुरक्षित घर पहुंचते देख अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाए और कहा कि वह बेहद खुश हैं।
वडोदरा जिले की पादरा तालुका के लूना गांव की रहने वाली खुशबू पटेल (29) उन 104 भारतीयों में शामिल थीं, जिन्हें अवैध रूप से रहने के चलते अमेरिका से निर्वासित किया गया है।
खुशबू के भाई ने बताया कि बुधवार को अमृतसर में उतरे अमेरिकी सैन्य विमान में यात्रा के दौरान उन्हें भी हथकड़ी लगाई गई थी।
उन्होंने बताया कि खुशबू के अलावा अन्य 32 निर्वासितों को अमृतसर से गुजरात ले जाने वाला विमान बृहस्पतिवार सुबह अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। निर्वासित भारतीयों के अहमदाबाद में उतरने के बाद उन्हें पुलिस वाहनों में गुजरात में उनके मूल स्थानों पर ले जाया गया।
एक अधिकारी ने बताया कि खुशबू को पहले प्राथमिक पूछताछ के लिए पादरा थाने ले जाया गया और फिर पुलिस उसे लूना स्थित उसके घर ले गई।
खुशबू ने अन्य निर्वासितों की तरह मीडिया से बात नहीं की। उसके भाई वरुण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘खुशबू को (अमेरिका से) अमृतसर तक पहुंचने के दौरान हथकड़ी लगाई गई थी। वह पर्यटक वीजा पर अमेरिका गई थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दस्तावेज न होने के कारण उसे (खुशबू) निर्वासित कर दिया गया। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका पहुंचने के लिए कौन-सा रास्ता अपनाकर गई थी। 36 घंटे की यात्रा के कारण वह अभी बोलने की स्थिति में नहीं है।’’
अपनी बेटी को घर वापस देखकर पिता जयंतीभाई पटेल रो पड़े लेकिन उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।
जयंतीभाई पटेल ने कहा, ‘‘मैं बहुत तनाव में था। अब मैं बेहद खुश हूं कि वह सुरक्षित वापस आ गई है। हमारी सरकार ने हर तरह से हमारी मदद की है। मुझे नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची और वहां उसके साथ वास्तव में क्या हुआ।’’
अन्य सभी निर्वासितों और उनके परिवार के सदस्यों ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि गुजरात से आए 33 निर्वासितों में से अधिकतर मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों के हैं।
निर्वासितों में पाटन जिले के मनुंद गांव का चार लोगों का परिवार भी शामिल था। पाटन जिला पुलिस उन्हें उनके गांव ले गई लेकिन गांव में उनका घर बंद रहा।
उनके पड़ोस में रहने वाले दीक्षित पटेल ने कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस उन्हें सुबह यहां लेकर आई थी, लेकिन वे अपने घर जाने के बजाय कहीं और चले गए। शायद वे घबराए हुए हैं और इस समय मीडिया का सामना नहीं करना चाहते।’’