आरबीआई शुक्रवार को नीतिगत दर में कर सकता है 0.25 प्रतिशत की कटौती: विशेषज्ञ
मुंबई, तीन फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदमों को मजबूती देगा। हालांकि रुपये में गिरावट अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि खुदरा मुद्रास्फीति साल के ज्यादातर समय में रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (दो से छह प्रतिशत) के भीतर रही है, इसलिए केंद्रीय बैंक सुस्त खपत से प्रभावित वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दर में कटौती को लेकर कदम उठा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फरवरी 2023 से नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इससे पहले, पिछली बार नीतिगत दर में कटौती कोविड के समय (मई 2020) की गयी थी और उसके बाद इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था।
रिजर्व बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। छह सदस्यीय समिति के निर्णय की घोषणा शुक्रवार सात फरवरी को की जाएगी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘इस बार नीतिगत दर में कटौती की संभावना है। इसके दो कारण हैं। सबसे पहले, आरबीआई पहले ही नकदी बढ़ाने के उपायों की घोषणा कर चुका है। इससे बाजार की स्थिति में सुधार हुआ है। नीतिगत दर में कटौती के लिए यह आगे का रास्ता साफ करता है।’’
सबनवीस ने कहा कि केंद्रीय बजट के जरिये प्रोत्साहन दिया गया है और इसे समर्थन देने के लिए रेपो दर को कम करना उचित जान पड़ता है।
रिजर्व बैंक ने 27 जनवरी को बैंकों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के उपायों की घोषणा की है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम विशेष रूप से आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान में कुछ बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं। इसका कारण राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वर्ष के लिए 6.4 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आरबीआई वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि दर का अनुमान देगा। हालांकि इसकी घोषणा आमतौर पर अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में की जाती है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि केंद्रीय बजट में किए गए राजकोषीय प्रोत्साहन का मुद्रास्फीति पर महत्वपूर्ण असर होगा। अत: हमें लगता है कि संतुलन फरवरी 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती के पक्ष में है।’’
नायर ने कहा कि हालांकि, अगर वैश्विक कारक इस सप्ताह के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में और अधिक कमजोरी का कारण बनते हैं, तो नीतिगत दर में कटौती अप्रैल 2025 तक टल सकती है।
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 55 पैसे लुढ़क कर 87.17 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर आ गया।