इंदौर के दो संग्राहकों ने संजोए महाकुंभ और सिंहस्थ के 100 से ज्यादा दुर्लभ डाक टिकट, विशेष आवरण

इंदौर के दो संग्राहकों ने संजोए महाकुंभ और सिंहस्थ के 100 से ज्यादा दुर्लभ डाक टिकट, विशेष आवरण

इंदौर (मध्यप्रदेश), तीन फरवरी (भाषा) सदियों से देश-दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के गवाह प्रयागराज के महाकुंभ मेले और उज्जैन के सिंहस्थ मेले की छटा डाक विभाग के जारी टिकटों और विशेष आवरणों पर भी प्रदर्शित होती रही है।

इसकी बानगी इंदौर के दो लोगों के संग्रह में मिलती है जिन्होंने दोनों धार्मिक आयोजनों पर केंद्रित कुल 100 से ज्यादा दुर्लभ टिकटों और विशेष आवरणों को कड़ी मशक्कत से जुटाकर संजो रखा है।

शहर के डाक टिकट संग्राहक ओमप्रकाश केडिया (73) ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैं प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में बचपन से जा रहा हूं। मुझे इस धार्मिक आयोजन में हमेशा से खासी रुचि रही है और यही वजह है कि मैंने इससे जुड़े डाक टिकट और विशेष आवरण जुटाने शुरू किए।’’

केडिया ने बताया कि चूंकि प्रयागराज महाकुंभ और उज्जैन सिंहस्थ पर जारी डाक टिकटों और विशेष आवरणों की तादाद बेहद सीमित है, इसलिए इन्हें तलाशने में काफी दिक्कत पेश आती है।

उन्होंने बताया कि प्रयागराज में 1977 के दौरान लगे महाकुंभ मेले पर केंद्रित एक विशेष आवरण उनके संग्रह की सबसे पुरानी मिल्कियत है जिसे उन्होंने एक प्रदर्शनी में एक विक्रेता से हासिल किया था।

शहर के एक अन्य संग्राहक आलोक खादीवाला (53) ने बताया कि उनके पास भी गुजरे बरसों में लगे महाकुंभ और सिंहस्थ मेलों को लेकर जारी डाक टिकट और विशेष आवरण हैं।

खादीवाला के मुताबिक उनके इस ‘खजाने’ की सबसे कीमती चीज 1906 के प्रयागराज महाकुंभ पर केंद्रित ‘बाजार कार्ड’ है। उन्होंने बताया, ‘‘बाजार कार्ड देश की आजादी से पहले पत्रों के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे।’’

खादीवाला ने बताया कि महाकुंभ और सिंहस्थ मेलों पर जारी डाक टिकट और विशेष आवरण हासिल करने के लिए उन्होंने अलग-अलग स्थानों के कबाड़ियों की भी मदद ली और कागज की रद्दी के कई बोरे खंगाले।

दोनों लोगों के संग्रह में देश के अलग-अलग तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं द्वारा यादगार के रूप में खरीदे जाने वाले प्राचीन सिक्के भी शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ मेला 26 फरवरी तक जारी रहेगा। सिंहस्थ मेला मध्यप्रदेश के उज्जैन में 2028 के दौरान आयोजित होगा।

हिन्दुओं के इन प्रमुख तीर्थ स्थलों पर दोनों मेले 12-12 साल के अंतराल में लगते हैं।

 

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