गुजरात सभी पुलिस कमिश्नरेट में 30 अप्रैल तक तीनों नए फौजदारी कानून लागू करे : शाह
नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा)केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुजरात सरकार को 30 अप्रैल तक सभी पुलिस कमिश्नरेट में और जल्द से जल्द पूरे राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करना सुनिश्चित करना चाहिए।
शाह गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन संबंधी समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को परिपत्र जारी कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संगठित अपराध, आतंकवाद और भीड़ द्वारा हत्या के प्रावधानों का दुरुपयोग न हो।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पिछले साल एक जुलाई को लागू किया गया था। इन कानूनों ने क्रमशः औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक नए कानूनों को लागू करने में गुजरात सरकार द्वारा अब तक किए गए कार्यों की सराहना करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को 30 अप्रैल तक सभी पुलिस कमिश्नरेट में इनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए और जल्द से जल्द पूरे राज्य में इनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा इसकी मासिक समीक्षा की जानी चाहिए, राज्य के गृह मंत्री द्वारा पाक्षिक रूप से तथा मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा की जानी चाहिए।
शाह ने कहा कि गुजरात ने 10 वर्ष से अधिक की सजा वाले 92 प्रतिशत से अधिक मामलों में समय पर आरोप पत्र दाखिल करके महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
उन्होंने रेखांकित किया कि शेष मामलों के लिए, कानून में उन प्रावधानों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा की जानी चाहिए जो अदालत से अनुमति लेने का प्रावधान करते हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात ने ‘जीरो एफआईआर’ को 100 प्रतिशत नियमित एफआईआर में परिवर्तित करने में सराहनीय काम किया है। उन्होंने एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जहां अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से प्राथमिकी को दो राज्यों के बीच स्थानांतरित किया जा सके।
शाह ने यह भी सुझाव दिया कि गुजरात को सीसीटीएनएस 2.0 अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तुत तीन नए आपराधिक कानूनों का सार किसी भी मामले में प्राथमिकी दर्ज होने से लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले तक तीन साल के भीतर न्याय देने के प्रावधान में निहित है।
शाह ने नये कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान के बारे में कहा कि राज्य के गृह और स्वास्थ्य विभागों को बैठकें आयोजित कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पतालों से पोस्टमॉर्टम और अन्य चिकित्सा रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्राप्त हों।
उन्होंने कारागारों, सरकारी अस्पतालों, बैंकों, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) और अन्य परिसरों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से साक्ष्य रिकॉर्ड करने की प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
शाह ने कहा कि कारागारों में प्रत्येक अदालत के लिए एक वीडियो कॉन्फ्रेंस कक्ष होना चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए लोगों का विवरण इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर उपलब्ध कराना चाहिए, साथ ही जब्ती सूची और अदालतों को भेजे जाने वाले मामलों की जानकारी भी देनी चाहिए।
उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इन मामलों की निरंतर निगरानी करने के निर्देश दिए तथा पुलिस थानों में इंटरनेट संपर्क की गति निर्धारित मानकों से बढ़ाकर 30 एमबीपीएस करने को कहा।