केरल: संरक्षित वनक्षेत्र में हाथी का शिकार करने के जुर्म में तीन लोगों को तीन साल की कैद
कोच्चि, 18 जनवरी (भाषा) केरल की एक अदालत ने संरक्षित वनक्षेत्र में हाथी का शिकार करने के लगभग 15 साल पुराने मामले में तीन लोगों को तीन साल की कैद की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि हाथी केरल का राजकीय पशु है तथा इसके दांतों के लिए शिकार करने के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
कोठमंगलम न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) हरिदासन ई एन ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 51 के तहत अजी, शाजी और बाबू को दोषी ठहराया तथा उन्हें तीन साल के कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने 17 जनवरी के अपने आदेश में केरल वन अधिनियम की धारा 27(I)(ई)(iv) (किसी जंगली जानवर का शिकार करने के इरादे से संरक्षित वनक्षेत्र में जबरन घुसना) के तहत उन्हें एक साल की कैद की भी सजा सुनाई थी।
इसके अलावा, अदालत ने अभियुक्तों पर 15,000-15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि कैद की सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
इस मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, सुरेश नामक एक अन्य आरोपी अब भी फरार है और बाकी दो आरोपियों--रंजीत और ए जे वर्गीस को अदालत ने बरी कर दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, जुलाई 2009 में इन सातों ने संरक्षित वनक्षेत्र में घुसने और जंगली हाथी का उसके दांतों के लिए शिकार करने की साजिश रची थी।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि सात में से पांच आरोपी पहले जंगल में घुसे और फिर हाथी का शिकार किया।
यह घटना तब सामने आई जब सात में से दो को केरल के इडुक्की जिले में आदिमाली के पास वन अधिकारियों ने एक दांत के साथ पकड़ा।
अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कारावास की सजा देना ‘‘अत्यंत जरूरी’’ है।
अदालत ने कहा, ‘‘हाथी केरल का राजकीय पशु है। केवल उसके दांतों के लिए इसके शिकार करने के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।’’