आगामी बजट में किफायती आवास परियोजनाओं पर आयकर की दर 15 प्रतिशत से कम होनी चाहिए: क्रेडाई

आगामी बजट में किफायती आवास परियोजनाओं पर आयकर की दर 15 प्रतिशत से कम होनी चाहिए: क्रेडाई

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने सरकार को आगामी बजट में किफायती आवास परियोजनाओं पर आयकर की दर केवल 15 प्रतिशत तय करने का सुझाव दिया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी।

क्रेडाई ने कहा कि इससे कम लागत वाले मकानों की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिनकी मांग सबसे अधिक है।

‘कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (क्रेडाई) ने इस क्षेत्र के समक्ष आने वाली गंभीर चुनौतियों के समाधान के लिए आगामी केंद्रीय बजट के लिए कई सुझाव दिए हैं।

इन सुझावों में किफायती आवास की परिभाषा में बदलाव, किफायती मकान बनाने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को कर में छूट तथा आवास ऋण पर व्यक्तियों द्वारा चुकाए जाने वाले मूलधन तथा ब्याज पर कटौती की सीमा बढ़ाना शामिल है।

क्रेडाई 13,000 से अधिक डेवलपर का प्रतिनिधित्व करता है।

संगठन ने पिछले कुछ वर्षों में नई पेशकश में किफायती आवास खंड की घटती हिस्सेदारी पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है। आपूर्ति में कमी के साथ, कुल बिक्री में किफायती मकानों की हिस्सेदारी भी कम हो गई है।

इसने इस गिरावट की प्रवृत्ति को प्राथमिकता के आधार पर रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया।

क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, ‘‘ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे में अपने व्यापक योगदान के साथ भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र हमेशा राष्ट्र निर्माण में सबसे आगे रहा है। वर्तमान में भारत के जीडीपी के लगभग 53 प्रतिशत (प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से) को प्रभावित करने वाले और आठ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देने वाले इस क्षेत्र के पास उन 40 करोड़ भारतीयों की आवास आवश्यकताओं का पूरा करने की कुंजी है, जिनके पास मकान नहीं हैं।’’

ईरानी ने कहा कि अगले सात वर्षों में सात करोड़ मकान उपलब्ध कराने और दो करोड़ नए रोजगार सृजित करने के दृष्टिकोण के साथ बजट 2025 के लिए क्रेडाई की सिफारिशों का उद्देश्य दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करना और क्षेत्र की वास्तविक क्षमता को उजागर करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें भरोसा है कि इन उपायों से वृद्धि को गति मिलेगी, मकान खरीदार सशक्त बनेंगे और भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को समर्थन मिलेगा।’’

 

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