सूरत : सिविल अस्पताल में उत्तरायण में घायल पक्षियों और नागरिकों की मदद के लिए नई पहल
एक छात्र 100 परिवारों को जल संरक्षण के बारे में शिक्षित करेगा : नर्सिंग काउंसिल के इकबाल कड़ीवाला
सूरत में नर्सिंग एसोसिएशन और सहस्रफना पार्श्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट-गोपीपुरा द्वारा पिछले 17 वर्षों से उत्तरायण के दौरान जीवदया अभियान चलाया जा रहा है। इसमें डॉक्टरों, पैरामेडिक्स, और स्वयंसेवकों की टीम घायल पक्षियों और नागरिकों के उपचार के लिए सक्रिय रहती है।
न्यू सिविल अस्पताल में संचालित हेल्पलाइन सेवा के लिए घायल पक्षियों या नागरिकों के उपचार के लिए 98253-04766, 98255-04766, 83205-95439, 99790-87053, 8460670644 पर कॉल किया जा सकता है।
पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष परेश पटेल ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि निर्दोष पक्षियों की रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। राज्य में 2017 से करुणा अभियान के तहत उत्तरायण पर्व के दौरान विशेष सेवाएं दी जा रही हैं। इस वर्ष जल संरक्षण को भी इस अभियान से जोड़ा गया। 'कैच द रेन' अभियान के तहत 1,100 नर्सिंग छात्राओं को जल संरक्षण संदेश लिखी पतंगें वितरित की गईं। प्रत्येक छात्र ने 100 परिवारों को जल संरक्षण का महत्व समझाने का संकल्प लिया है। इस अभियान के माध्यम से वर्षा जल संचयन और जल स्तर में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति और पदाधिकारी शामिल हुए, जिनमें शामिल थे । परेश पटेल (पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष), डॉ. महेंद्रसिंह चौहान (संकाय डीन एवं सिंडीकेट सदस्य), डॉ. धारित्री परमार (अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक), डॉ. इंद्रावती राव (नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य), इकबाल कड़ीवाला (नर्सिंग काउंसिल उपाध्यक्ष), सहस्रफना ट्रस्ट के लहरुभाई चावला, आरएमओ डॉ. केतन नायक, किजल निमितभाई सेठ, नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. इंद्रावती राव, नर्सिंग अधीक्षक सिमंती गावड़े, स्थानीय एसोसिएशन अध्यक्ष अश्विन पंड्या, नर्सिंग एसोसिएशन के संजय परमार, बिपिन मेकवान, विभोर चुग, जगदीश बुहा, वीरेन पटेल और नर्सिंग एसोसिएशन टीम के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि हेन्नी रमेशचंद्र संघवी पिछले 10 वर्षों से नवी सिविल में घायल पक्षियों और नागरिकों के लिए हेल्पलाइन सेवा शुरू कर रहे हैं।
इस वर्ष का अभियान जल संरक्षण और पक्षी बचाव को एकीकृत करते हुए जन जागरूकता फैलाने में एक मिसाल साबित हुआ। नर्सिंग एसोसिएशन ने घायल पक्षियों और नागरिकों के उपचार के साथ जल संरक्षण को भी प्राथमिकता दी है। इस पहल ने न केवल पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी आदर्श उदाहरण पेश किया।