सूरत : उमरपाड़ा का कायाकल्प: अदाणी फाउंडेशन का बहुमुखी प्रयास

किचन गार्डन से साइलेज मशीन तक, आदिवासी समुदाय का जीवन स्तर हो रहा उन्नत

सूरत : उमरपाड़ा का कायाकल्प: अदाणी फाउंडेशन का बहुमुखी प्रयास

सूरत । अदाणी फाउंडेशन ने सूरत जिले के उमरपाड़ा तालुका में विकास और समृद्धि की अनूठी मिसाल पेश की है। पिछले तीन वर्षों से, यह फाउंडेशन क्षेत्र के आदिवासी समुदाय की भलाई, रोजगार, स्वास्थ्य और आय सुधार के लिए बहुप्रतीक्षित कदम उठा रहा है। स्थानीय प्रशासन, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), वन विभाग और जिला पंचायत के सहयोग से फाउंडेशन ने कई उल्लेखनीय परियोजनाएं शुरू की हैं।

फाउंडेशन की किचन गार्डन पहल के तहत, उमरपाड़ा के 1,000 परिवार अब अपने आंगनों में जैविक सब्जियां उगाकर सालाना पांच करोड़ रुपये से अधिक की बचत कर रहे हैं। प्रत्येक परिवार, जो पहले ताजी सब्जियों पर रोजाना 80 रुपये खर्च करता था, अब इस पहल से आत्मनिर्भर हो रहा है।

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उमरपाड़ा की कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर है। फाउंडेशन ने बोरवेल और सोलर पंप की सुविधा देकर सिंचाई के साधनों में क्रांति ला दी है। धानावड गांव के 20 किसानों की आय में पांच गुना वृद्धि की संभावना है। उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरकों के वितरण से किसानों की उत्पादन लागत घटी है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।

पशुपालन, जो क्षेत्र में आय का प्रमुख स्रोत है, को और सशक्त करने के लिए तालुका की पहली साइलेज मशीन स्थापित की गई है। यह मशीन ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को समर्पित की गई, जिससे बेहतर चारे और अधिक दूध उत्पादन की राह खुली।

कोतवालीया समुदाय के बांस कारीगरों को फाउंडेशन ने अत्याधुनिक उपकरण और मशीनरी प्रदान की है। इन उपकरणों ने कारीगरों को उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने और बाजार में नवाचार लाने में मदद की है। अहमदाबाद, सूरत और सापुतारा जैसे शहरों में आयोजित मेलों में भाग लेकर इन कारीगरों ने 50 हजार रुपये तक की आय अर्जित की।

‘प्रोजेक्ट फॉर्च्यून न्यूट्रिशन’ अप्रैल 2024 में शुरू हुआ। जिला पंचायत और आईसीडीएस के सहयोग से, हर आंगनवाड़ी केंद्र में एक सुपोषण संगिनी नियुक्त की गई है, जो कुपोषण से निपटने में अहम भूमिका निभा रही है।

अदाणी फाउंडेशन के इन प्रयासों ने उमरपाड़ा के आदिवासी समुदाय को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित किया है। बेहतर आय, स्वस्थ जीवन और आत्मनिर्भरता की ओर यह क्षेत्र अब एक नई राह पर अग्रसर है।