सूरत : वैल्यूएडेड कपड़े तैयार करने में जुटे कारोबारी
मिलों से लेकर एंब्रॉयडरी वर्क एवं लेस पट्टी आदि कराने में लग जाते हैं एक महीने
मकर संक्रांति के बाद कपड़ा मार्केट में तेजी की आहट के बीच सूरत के कपड़ा कारोबारी विविध वैरियटयों की रेंज लगाने में जुटे हुए हैं। ग्रे से लेकर मिलों में डाइंग-प्रिंटिंग के बाद एंब्रॉयडरी वर्क, लेस पट्टी, बार्डर आदि कराने में लगभग 1 महीने का समय लग जाता है। तब जाकर वैल्यू ऐडेड कपड़े तैयार किए जाते हैं। शादी-विवाह आदि प्रसंगों में वैल्यूएडेड यानी ऊंची रेंज की साड़ी एवं ड्रेस आदि कपड़े की डिमांड अधिक रहती है, जिससे सूरत के कपड़ा कारोबारी बाहर की कपड़ा मंडियों के व्यापारियों की मांग के अनुरूप ही कपड़े तैयार करते हैं। इन सब वैल्यूएडेड वर्क पूरा करने में 3 से 4 सप्ताह का समय लग जाता है। इन दिनों सुस्त कारोबार के बीच आगामी दिनों में तेजी की संभावना के मद्देनजर सूरत के कपड़ा व्यापारी विविध वैरायटियों की रेंज लगाने में जुटे हैं।
उत्तरायण के बाद शादी-विवाह के मुहूर्त होने से बाहर के व्यापारी आने लगे : सुरेन्द्र चुग
मिलेनियम-4 के कपड़ा कारोबारी सुरेन्द्र चुग ने बताया कि कुमुरता (खरमास) की शुरुआत होते ही बाहर के कुछ व्यापारी सूरत आने लगे हैं। अभी तक सूरत के कारोबारी के यहां माल पूर्णतया तैयार नहीं हो पाया है, जिससे वे ऑर्डर देकर चले जाएंगे। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से वैल्यूएडेड कपड़ा तैयार होने में तकरीबन 25 दिनों से अधिक का समय लग जाता है। पहले वीवर के पास से ग्रे लेकर मिलों में भेजा जाता है, जहां सफाई कर डिजाइन के लिए दिया जाता है। वहां से फिर फिनिश मॉल मार्केट में दुकान पर आते हैं, जहां क्लबिंग, कटिंग कर प्रिंटिंग साड़ियां तो पैक कर दी जाती है। जबकि अन्य साड़ियां व्यापारियों के डिमांड के अनुसार लेस पट्टी, डायमंड, बॉर्डर, मशीन से लगाए जाने वाली डायमंड सिरोस्की, एंब्रॉयडरी आदि के लिए भेजे जाते हैं। इन सब
प्रकार के वैल्यूएडेड कपड़े तैयार करने में तकरीबन 1 महीने का समय लग जाता है। हालांकि दीपावली के बाद भले ही कारोबार सुस्त है, लेकिन आगामी दिनों में तेजी की पूरी संभावना को देखते हुए कारोबारी अपनी रेंज लगाने में जुटे हुए हैं।
मार्केट से लेकर मिलों तक ग्रे फिनिश माल की डिलीवरी निर्वाधरुप से जारी : राजेंद्र उपाध्याय
मिल टेम्पो डिलीवरी कांट्रेक्टर एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र उपाध्याय एवं महामंत्री सरोज तिवारी ने बताया कि इन दिनों कपड़ा मार्केट में ग्राहकी भले ही कम है, लेकिन मार्केट से लेकर मिलों तक ग्रे फिनिश माल की डिलीवरी तेज गति से जारी है। यही कारण है कि मिलों से लेकर कपड़ा मार्केट तक श्रमिकों की कमी महसूस की जा रही है। हालांकि पहले की अपेक्षाकृत अब श्रमिकों की कमी में सुधार हुआ है।
एसोसिएशन के मनोज पटेल, उमाकांत सिंह ने बताया कि लाभपांचम के बाद यानी कपड़ा मार्केट एवं मिलों के चालू होने के साथ ही श्रमिकों की कमी होने से अधिक रुपये देकर भी काम पर लाना पड़ता था। हालांकि इन दिनों वही श्रमयोगी रेगुलर वेतन अथवा कुछ अधिक चुकाने पर सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि कपड़ा मार्केट में तेज ग्राहकी शुरु होने से पूर्व गांव गये श्रमियोगियों के आ जाने से श्रमिकों की कमी पर विराम लग जाएगा।