ड्रोन से पानी की बौछार करने की परियोजना उच्च लागत और सीमित परिणामों के कारण नामंजूर
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) अधिक प्रदूषण वाली जगहों पर ड्रोन के जरिये पानी की बौछार करने वाली एक प्रायोगिक परियोजना उच्च लागत और सीमित परिणामों के कारण नामंजूर कर दी गयी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि इस योजना को दिल्ली की 21-सूत्रीय शीतकालीन कार्य योजना के हिस्से के रूप में प्रस्तावित किया गया था ताकि खराब वायु गुणवत्ता से निपटा जा सके।
अधिकारियों ने इस परियोजना को महंगा और अप्रभावी माना और कहा है कि यह महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय परिणाम देने में विफल रही है।
परियोजना के मूल्यांकन में शामिल एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’को बताया, “यह तकनीक बेहद महंगी है और मौजूदा तरीकों की तुलना में उल्लेखनीय परिणाम प्रदान नहीं करती जबकि पहले से इस्तेमाल में लाये जाने वाले उपकरण बेहतर परिणाम दे रहे हैं।”
दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक आनंद विहार में आठ नवंबर को इस परियोजना का प्रायोगिक प्रदर्शन किया गया था।
इस प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषित इलाकों में संकरी सड़कों या भीड़भाड़ वाले इलाकों में सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जहां ट्रक जैसे पारंपरिक परिवहन के साधन नहीं पहुँच सकते।
राय ने कहा, “इन प्रदूषित जगहों पर प्रदूषण का स्तर राजधानी के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) से अधिक है। यहीं पर ड्रोन विशेष रूप से प्रभावी हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि अगर परीक्षण सफल रहा तो दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) व्यापक तैनाती के लिए और अधिक ड्रोन खरीदने पर विचार कर सकती है।
राय ने कहा था, “अगर परीक्षण से हमें अच्छे नतीजे मिलते हैं तो हम अतिरिक्त ड्रोन खरीदने के लिए औपचारिक निविदाएं जारी करेंगे।”
हालांकि, अधिकारी इस तकनीक की व्यावहारिकता को लेकर संशय में हैं।
एक अधिकारी ने बताया, “हम जिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह पहले से ही इसी तरह के नतीजे दे रही है। ड्रोन, हालांकि नया तरीका है लेकिन पानी छिड़कने के लिए यह केवल कुछ मीटर ऊपर उठ सकते हैं, जिससे अब तक कोई खास असर नहीं दिखा है। इस स्थिति में हम इस तकनीक को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।”
उन्होंने बताया, “इसलिए ड्रोन का विकल्प चुनना ज्यादा समझदारी नहीं है। मौजूदा तरीके पहले से ही योग्य परिणाम दे रहे हैं।”