भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में समुद्री क्षेत्र की होगी परिवर्तनकारी भूमिका: धनखड़

भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में समुद्री क्षेत्र की होगी परिवर्तनकारी भूमिका: धनखड़

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के देश के लक्ष्य में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत एक उभरती हुई समुद्री शक्ति के रूप में खड़ा है, जो वैश्विक समुद्री पहल का नेतृत्व करने के लिए अपनी भौगोलिक स्थिति और उन्नत बुनियादी ढांचे का रणनीतिक रूप से लाभ उठा रहा है।

उन्होंने भारतीय समुद्री विरासत सम्मेलन (आईएमएचसी)-2024 में कहा, “वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था के 2030 तक छह हजार अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत का समुद्री क्षेत्र दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में हमारे उदय में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”

धनखड़ ने कहा कि भारत रणनीतिक रूप से अपनी समुद्री अर्थव्यवस्था का विकास कर रहा है तथा आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए सतत समुद्री संसाधनों के उपयोग पर जोर दे रहा है।

सरकार का सागरमाला कार्यक्रम बंदरगाहों को औद्योगिक समूहों के साथ एकीकृत करता है, लॉजिस्टिक नेटवर्क को अनुकूलित करता है, व्यापक तटीय विकास को बढ़ावा देता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि तटीय नौवहन विधेयक-2024 विनियामकीय ढांचे को सुव्यवस्थित करता है और बहु-मॉडल व्यापार संपर्क को बढ़ाता है।

उन्होंने यहां 11 देशों के प्रतिनिधियों सहित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक भारत में 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा, 13 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं जो इसे निर्विवादित समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करते हैं।

बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत के समुद्री क्षेत्र को हजारों साल का अनुभव है।

उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा महान राष्ट्र, अपने समृद्ध और विविध इतिहास के साथ 5,000 वर्षों से अधिक समय से एक समुद्री राष्ट्र रहा है। हड़प्पा सभ्यता से लेकर आज तक समुद्र के साथ संबंधों ने हमारी संस्कृति, अर्थव्यवस्था और विश्व लक्ष्य को गहराई से आकार दिया है।”

इस कार्यक्रम में समुद्री इतिहासकार, पुरातत्वविद और समुद्री शोधकर्ता तथा उद्योग के अन्य हितधारक शामिल हुए।