सूरत : भाजपा के लिए प्रयोगशाला बनेगा सूरत !!
संगठन के लिए सूरत शहर का बंटवारा, दो अध्यक्षों पर विचार
सूरत। बीजेपी के लिए गुजरात और सूरत भी निर्विवाद गढ़ हैं, बीजेपी ने ऐसे गढ़ों को प्रयोगशाला बना लिया है। बीजेपी गुजरात को राजनीतिक प्रयोगशाला भी मानती है और यहां जो प्रयोग करती है और जो सफलता मिलती है, उसे देश के दूसरे राज्यों में भी आजमाती है। लेकिन इस बार संगठन को मजबूत बनाने के लिए सूरत को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संभावना है कि बीजेपी आने वाले दिनों में सूरत शहर को एक नहीं बल्कि दो-दो अध्यक्ष देगी। सूरत शहर में संगठन के बंटवारे और दो अध्यक्षों पर विचार चल रहा है, संगठन की बैठक में एक-दो बार इस पर चर्चा के बाद अंदरूनी कलह चल रही है।
सूरत भाजपा में फिलहाल संगठन के लिए प्राथमिक सदस्य और फिर सक्रिय सदस्य का काम प्रभावी ढंग से किया गया। उसके बाद वार्ड अध्यक्ष के लिए भी फॉर्म भरने का प्रयोग किया गया है। भाजपा द्वारा वार्ड अध्यक्षों के लिए आयु सीमा तय करने के बावजूद 30 वार्डों के लिए 244 दावेदार सामने आए। इसके बाद बूथ कमेटी के लिए कवायद शुरू की गई थी, लेकिन बूथों और वार्डों के नए सिरे से परिसीमन की तैयारी के कारण यह प्रक्रिया फिलहाल टाल दी गई है।
हालाँकि, 1990 में कांग्रेस के तख्तापलट के बाद सूरत बीजेपी का ऐसा गढ़ बन गया कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन भी इसे हिला नहीं पाया। जिसके चलते लगता है कि बीजेपी ने सूरत को प्रयोगशाला के तौर पर चुना है। सूरत में संगठन के नए हिस्से पर विचार बीजेपी सूरत शहर को संगठन के दो हिस्सों में बांटकर नए प्रयोग की संभावना जता रही है।
संगठन की बैठक पिछले कुछ समय से सूरत शहर में हो रही है, जिसमें चर्चा की गई कि संगठन को मजबूत बनाने के लिए सूरत एक बड़ा शहर है, अगर सूरत को दो भागों में बांट दिया जाए, तो संगठन का काम आसान हो जाएगा। इस चर्चा के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि फिलहाल संगठन को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें सूरत शहर को दो शहर अध्यक्ष मिलेंगे।