लापता बेटा बनकर रहने वाला महाठग निकला, 9 परिवारों को चूना लगा चुका
गाजियाबाद (उप्र), सात दिसंबर (भाषा) गाजियाबाद और देहरादून में दो परिवारों के साथ लापता हुआ बेटा बनकर रहने और उन्हें ठगने के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। पुलिस ने बताया कि उसे ऐसे और दो परिवार मिले हैं, जिन्हें व्यक्ति ने ठगा था।
पुलिस ने कहा कि पांच राज्यों- राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में नौ परिवारों ने आरोपी इंद्रराज रावत को बहुत समय पहले लापता हुआ बेटा समझा।
डीसीपी (ट्रांस हिंडन) निमिश पाटिल ने कहा, रावत इन वर्षों में नौ परिवारों के साथ रहा और कहानी बनाकर खुद को उनका खोया हुआ बताया। पुलिस ने उन चार परिवारों की पहचान की है, जिन्हें आरोपी ठगी का शिकार बनाया। अन्य पांच परिवारों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
घटना 24 नवंबर, 2024 को सामने आई जब राजू नाम के एक व्यक्ति ने गाजियाबाद में खोड़ा पुलिस थाना से संपर्क कर दावा किया कि 30 साल पहले उसका अपहरण कर लिया गया था और उसे राजस्थान के जैसलमेर में बंधक बनाकर रखा गया।
आरोपी ने पुलिस को बताया था कि वह किसी तरह बच निकला और एक ट्रक में यात्रा करके दिल्ली पहुंचा। आरोपी के अनुसार पहचान का सत्यापन करने के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया, अखबारों और अन्य माध्यमों से उसकी फोटो जारी की थी।
इस दौरान, गाजियाबाद के शहीदनगर के निवासी तुलाराम ने आरोपी को अपने खोये हुए बेटे भीम सिंह उर्फ पन्नू के रूप में पहचाना, जिसके बाद खोड़ा पुलिस ने व्यक्ति को तुलाराम को सौंप दिया।
हालांकि, तुलाराम को आरोपी के व्यवहार पर शक हुआ क्योंकि उसका व्यवहार उसके खोये हुए बेटे जैसा नहीं था। 27 नवंबर को तुलाराम ने साहिबाबाद पुलिस से संपर्क किया और बताया कि जो व्यक्ति पिछले पांच दिन से उसके परिवार के साथ रह रहा है, वह उसका बेटा नहीं हो सकता।
पुलिस ने बताया था कि गहन पूछताछ के दौरान वह अपनी पुरानी कहानी दोहराता रहा, लेकिन अंततः उसने सच्चाई बयां कर दी और अपनी सही पहचान राजस्थान के जैतसर के निवासी इंद्रराज के रूप में बताई।
इंद्रराज ने बताया कि वह कम उम्र से ही मामूली चोरी के मामलों में शामिल था जिसकी वजह से 2005 में उसके घरवालों ने उसे घर से निकाल दिया।
उसने विभिन्न नामों से इस तरह का फर्जीवाड़ा करके घरों से चोरी की और देहरादून, दिल्ली और राजस्थान में विभिन्न स्थानों पर फर्जी गतिविधियों में शामिल था और खुद को खोया हुआ बताकर कई परिवारों के साथ रहा।
इंद्रराज दिल्ली आने से चार महीने पहले देहरादून में आशा शर्मा नामक का बेटा बनकर उनके घर रहा था। वह देश के विभिन्न हिस्सों में पंकज कुमार और राम प्रताप नाम से भी रहा है।