सूरत : श्रद्धा के साथ समझौता नहीं होना चाहिए : स्वामी गोविंददेव गिरिजी
हमारे अंदर अनेक शक्तियां है, लेकिन हम इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं इसके बारे में सीखा नहीं
शहर के वेसू कैनाल रोड पर चल रही शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने भगवान शिवजी की महिमा का वर्णन करते हुए साधु संतों के मार्गदर्शन की महत्ता भी बताई। भगवान महादेव त्रिपुर का विध्वंस कर देते हैं। इसलिए उन्हें त्रिपुरारी कहते हैं। उत्तम गुरु से दीक्षा प्राप्त किया व्यक्ति कभी किसी व्यामोह में पड़ता ही नहीं है। यही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता है। भारतीय संस्कृति में सबसे ज्यादा महत्व तप शब्द का है। शक्ति का संचय करने के लिए तप किया जाता है। हमारे अंदर अनेक शक्तियां है, लेकिन हम इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं इसके बारे में हमने सीखा नहीं।
भरूच में स्थित गरूडेश्वर की महिमा बताते हुए कहा कि खुद प्रधानमंत्री ने चार माह रहकर तप किया है। कलयुग का आदमी कैसा है इसके बारे में वर्णन करते हुए कहा कि वह पुण्य नहीं करना चाहता है ऐसा नहीं वह पुण्य भी करता है, लेकिन पाप नहीं छोड़ना चाहता है। पत्थर में भाव रखकर हम आराधना करते हैं तो वह पत्थर हम लोगों को उच्च सिद्धियों तक पहुंचा देता है। यही बात माता पिता के प्रति श्रद्धा रखने वाले पुत्र के लिए है, यही बात गुरू में श्रद्धा रखने वाले शिष्य के लिए है। श्रद्धा के साथ समझौता नहीं होना चाहिए। कथा के दौरान स्वामी शिवपुरानन्द महाराज ( त्रंबकेश्वर ), स्वामी भारतानंद महाराज ( पालघर, महाराष्ट्र ), ह.भ.प श्री एकनाथ महाराज सदगीर ( विश्व हिंदू परिषद कोकण प्रांत अध्यक्ष ), पद्मश्री माथुर सवाणी, गजानंद कंसल, प्रदीप झुनझुनवाला, कृष्णाकन्हैया मित्तल उपस्थित रहे।