आईटीआर फॉर्म को सरल बनाएं, टीडीएस के लिए ‘एक दर एक खंड’ लाएं: डेलॉयट सर्वेक्षण

आईटीआर फॉर्म को सरल बनाएं, टीडीएस के लिए ‘एक दर एक खंड’ लाएं: डेलॉयट सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) आयकर दाखिल करने वाले अधिकतर लोगों ने आईटीआर की प्रक्रिया का सरल, प्रोत्साहनों तथा कटौतियों की गणना को आसान और ‘एक दर एक खंड’ के लिए टीडीएस ढांचे के सरलीकरण की वकालत की है।

डेलॉयट के आयकर नीति सर्वेक्षण में फॉर्म 16ए जारी करने की आवश्यकता को समाप्त करने का भी सुझाव दिया गया, क्योंकि टीडीएस की जानकारी पहले से ही प्राप्तकर्ता के फॉर्म 26एएस तथा एआईएस में उपलब्ध हो जाती है।

सर्वेक्षण में कर कटौती से संबंधित धाराओं की संख्या सीमित करने, भुगतानों को दो-तीन अलग-अलग और गैर-अतिव्यापी श्रेणियों में वर्गीकृत करने तथा यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक धारा में केवल एक दर हो, जिससे कर प्रशासनिक दृष्टिकोण से कर संग्रह में कोई बड़ी चूक के बिना अनुपालन का बोझ काफी कम हो जाएगा।

मिसाल के तौर पर मूर्त वस्तुओं पर एक प्रतिशत टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स), सेवाओं पर दो प्रतिशत, ई-कॉमर्स लेनदेन पर 0.1 प्रतिशत तथा लाभांश तथा ब्याज जैसे अन्य लेनदेन पर 10 प्रतिशत..।

आयकर नीति सर्वेक्षण में विभिन्न उद्योगों के संगठनों के 320 से अधिक उद्योग पेशेवरों ने ऑनलाइन हिस्सा लिया।

उत्तरदाताओं में से 76 प्रतिशत ने प्रोत्साहनों तथा कटौतियों की गणना को सरल बनाने की वकालत की, जो पात्र प्रोत्साहनों/कटौतियों को समझने और उनकी गणना करने में करदाताओं की चिंता को दर्शाता है।

इनमें से करीब तीन-चौथाई यानी 73 प्रतिशत ने परिसंपत्तियों तथा अन्य संपत्ति के उचित मूल्य की गणना पद्धति के साथ-साथ विदेशी कर ऋण की गणना को सरल बनाने की वकालत की।

व्यक्तिगत आईटीआर फॉर्म को भरने और दाखिल करने में आसानी एक प्रमुख मांग है, जिसका करीब 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने समर्थन किया जबकि 71 प्रतिशत ने कॉरपोरेट के लिए आईटीआर ((इनकम टैक्स रिटर्न) फॉर्म को सरल बनाने की मांग की।

सर्वेक्षण में शामिल 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कर लेखापरीक्षा रिपोर्ट को सरल बनाने, जबकि करीब 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने टीडीएस/टीसीएस रिटर्न तैयार करने तथा दाखिल करने को आसान बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डेलॉयट ने सुझाव दिया कि चूंकि एक सरल आयकर कानून पर काम जारी है, इसलिए सरकार को प्रावधानों के इस्तेमाल से बचना चाहिए और इसके बजाय पाठ को सरल वाक्यों में व्यक्त किया जाए ताकि लोग इसे बेहतर ढंग से समझ सकें। कर कानून की प्रभावशीलता को अर्थपूर्ण, सुविचारित और सुव्यवस्थित शब्दों का इस्तेमाल कर बढ़ाया जा सकता है।