सूरत : मनुष्य देह से बढ़कर अमूल्य सारे संसार में कुछ भी नहीं : स्वामी गोविंददेव गिरिजी
अनेक जीवन का पुण्य एकत्रित होने पर ही श्री शिव महापुराण कथा श्रवण करने का पुण्य प्राप्त होता है
शहर के वेसू कैनाल रोड स्थित राजहंस कॉस्मिक में सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन सोमवार को स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने व्यासपीठ से श्री शिव महापुराण कथा का रसपान कराते हुए कहा कि तीन बातें हमारी परंपरा में अत्यंत दुर्लभ मानी गई है। मनुष्य के रूप में जन्में है, मनुष्य का जीवन सामान्य जीवन नहीं होता है। मनुष्य के देह से बढ़कर अमूल्य सारे संसार में कुछ भी नहीं है। एक देह के भीतर कितना भरा हुआ है यह चिंतन के अभाव में इसकी महत्वता समझ में नहीं आती है।
महाराजजी ने कहा कि हमारे शास्त्रकारों ने इसे पंचकोषात्म कहा है। इसमें वह चेतना विद्यमान है, जो चेतना सारे श्रृष्टिकर्ता की चेतना है। सारे ब्रम्हांड में जो कुछ है वह पिंड रूप में, वह सुक्ष्म रूप में इस पिंड में विराजमान है। लेकिन आपाधापी के जीवन क्रमों में हम लोग सब लोगों को जानते है, जानने का प्रयास करते हैं। बाहर के परिचय का दायरा बढ़ गया, लेकिन दुर्देव की बात है कि हम भीतर की दिव्य चेतना को जानते नहीं है।
मानव जन्म प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है, इसके महत्व को जानना भी आवश्यक है। वह जानना तब सार्थक होता है, जब मनुष्य के भीतर मुमुक्षा जागती है। हमारे उपनिषेद में दो शब्दों का प्रयोग किया गया है। एक प्रेयश और दूसरा श्रेयश। प्रेयश उसे कहते हैं जो हमें प्रिय लगता है, जो इंद्रियों को अच्छा लगता है। श्रेयश उसे कहते हैं, जिससे हमारा हित होता है, हमारा कल्याण होता है।
शरीर के स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर, वैद्य से पूछना पड़ता है, उसी प्रकार जीवन के कल्याण के लिए किसी संत के पास जाकर जिज्ञासा करनी पड़ती है। अनेक जीवन का पुण्य एकत्रित होने पर ही श्री शिव महापुराण कथा श्रवण करने का पुण्य प्राप्त होता है। कथा के दौरान स्वामी गोविंददेव गिरीजी महाराज का कथा के मनोरथी ओमप्रकाश झुनझुनवाला एवं परिवार, राजेंद्र मलिक, प्रमोद पोद्दार, गजानंद कंसल, राजेंद्र डोकानिया, ताराचंद खुराना, विनोद अग्रवाल, जगदीश गर्ग, सुभाष अग्रवाल, जगदीश परिहार, ओमप्रकाश मारू ने आशीर्वाद प्राप्त किया।