वाशिंगटन : सीतारमण ने विश्व बैंक अध्यक्ष से मुलाकात में एमडीबी सुधारों पर की चर्चा

इस दौरान दोनों ने यहां वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं में निजी पूंजी की भागीदारी से संबंधित मुद्दों में सुधार पर चर्चा की

वाशिंगटन : सीतारमण ने विश्व बैंक अध्यक्ष से मुलाकात में एमडीबी सुधारों पर की चर्चा

वाशिंगटन/नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने यहां वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं में निजी पूंजी की भागीदारी से संबंधित मुद्दों, ऊर्जा सुरक्षा और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबीएस) में सुधार पर चर्चा की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यहां विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वार्षिक बैठकों से इतर विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा से मुलाकात की और अन्य मुद्दों के अलावा एमडीबीएस में सुधार पर चर्चा की। वित्त मंत्री ने कहा कि वह विश्व बैंक द्वारा भारत की जी-20 अध्यक्षता से एमडीबी सुधारों पर आईईजी की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने भविष्य में सिफारिशों के कार्यान्वयन पर नियमित निगरानी का भी अनुरोध किया।

सीतारमण ने बैठक के दौरान ब्रेटन वुड्स संस्थानों के 80 साल पूरा होने पर चर्चा के लिए विश्व बैंक तथा आईएमएफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सलाहकार तंत्र पर व्यापक परामर्श प्रक्रिया की जरूरतों को रेखांकित किया। ब्रेटन वुड्स संस्थान, आईएमएफ और विश्व बैंक का एक समूह है। इस संस्था की स्थाीपना 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर के ब्रेटन वुड्स में एक सम्मेलन में की गई थी।

विश्‍व बैंक के अध्‍यक्ष अजय बंगा ने बैठक के दौरान आईईजी सिफारिशों पर पर्याप्त प्रगति का उल्लेख किया, जिन्हें जी20 में प्रस्तुत किया जाना है। उन्होंने डब्ल्यूबीजी के रोजगार, ज्ञान ढांचे, बैंक योग्य परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्‍होंने कौशल, जल और स्वच्छता तथा शहरी विकास सहित भारत की बजट प्राथमिकताओं के साथ सहयोग करने पर जोर दिया।

भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान 2023 में गठित स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (आईईजी) ने एमडीबी में सुधारों के ‘ट्रिपल एजेंडे’ की सिफारिश की थी। इस एजेंडे के तीन तत्व अत्यधिक गरीबी को खत्‍म करना, साझा समृद्धि को बढ़ावा देना और 2030 तक वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के लिए सतत ऋण स्तर को तीन गुना बढ़ाने में योगदान देना तथा तीसरा वित्तपोषण तंत्र बनाना शामिल है। इसके अलावा एमडीबी एजेंडे के तत्वों का समर्थन करने के इच्छुक निवेशकों के साथ उद्देश्यपूर्ण ढंग से जुड़ने के लिए लचीली और नवीन व्यवस्था बनाना है।