सूरत : मांडवी चीनी मिल का विवाद, किसानों और कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
चीनी मिल की नीलामी को लेकर किसानों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
सूरत के मांडवी चीनी मिल को कम कीमत पर जुनार चीनी मिल को बेचे जाने के खिलाफ किसानों और कर्मचारियों का विरोध तेज हो गया है। इस मामले में, कांग्रेस नेताओं ने जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाया है।
जिसमें विधायक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री तुषारभाई चौधरी, गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव दर्शनभाई नायक, शंकरभाई चौधरी, कमलेशभाई चौधरी, जिला पंचायत सदस्य बिपिनभाई चौधरी, किसान समाज के दिलीपसिंह महिडा, सामाजिक नेता के. के. पटेल, प्रदीपभाई चौधरी, भीमसिंह चौधरी, मुकेश वसावा, जयेंद्रभाई देसाई, सुरेशभाई सुहागिया, रमेशभाई पटेल, कल्पेशभाई राणा, धर्मेशभाई चौधरी, मनोजभाई गोस्वामी, अंदाज़ शेख सहित मांडवी, कामरेज, बारडोली, चोर्यासी, ओलपाड और मांगरोल तालुका के नेता उपस्थित थे।
ज्ञापन में कहा गया है कि मांडवी चीनी मिल पिछले कई वर्षों से सूरत जिले के किसानों, खासकर आदिवासी समाज के लिए एक जीवन रेखा रही है। लेकिन, राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासकों के कुप्रबंधन के कारण मिल बंद हो गई है। इस निर्णय से 61,000 से अधिक किसान सदस्य और कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।
मांडवी शुगर के सदस्यों, किसानों एवं मजदूरों तथा कर्मचारियों के वेतन सहित लगभग 90 करोड़ रुपये तथा राज्य सरकार एवं एनसीडीसी का ऋण बकाया है। मांडवी जैसी सहकारी चीनी मिल में ऐसी स्थिति का निर्माण होना सहकारी क्षेत्र के लिए बहुत गंभीर मामला है।
किसानों का आरोप है कि मांडवी चीनी मिल की संपत्ति को उसके मूल्य से काफी कम कीमत पर जुनार चीनी मिल को बेच दिया गया है। इस पूरे सौदे में कई अनियमितताएं हुई हैं और प्रशासकों ने सहकारी नियमों का उल्लंघन किया है।
कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि जिला कलेक्टर इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि मांडवी चीनी मिल को फिर से सहकारी आधार पर शुरू किया जाए ताकि किसानों का हित सुरक्षित हो सके।