सूरत : अदालत ने पति पर 11,500 रुपये मासिक देने का जुर्माना लगाया
घरेलू हिंसा मामले में पत्नी को मिला न्याय, पति को भरण-पोषण देने का आदेश
सूरत : सूरत की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पति को पत्नी और बेटी के लिए भरण-पोषण और मकान का किराया देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें बिना किसी डर के जीने का अधिकार सुनिश्चित करना है।
योगीचौक निवासी रूपल धनानी ने अपने पति चिराग धनानी के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दायर किया था। ( बदले गए नाम) रूपल ने अदालत को बताया कि शादी के बाद से ही वह अपने ससुराल वालों द्वारा लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती रही है। उसे दहेज के लिए भी परेशान किया जाता था।
याचिकाकर्ता पत्नी ने वकील प्रीति जिग्नेश जोशी के माध्यम से सूरत की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आवेदन दिया।
अदालत ने रूपल की याचिका को स्वीकार करते हुए चिराग को आदेश दिया कि वह रूपल को 5,000 रुपये, बेटी को 4,000 रुपये और मकान का किराया 2,500 रुपये, कुल मिलाकर 11,500 रुपये प्रति माह दे। इसके अलावा, चिराग को रूपल को 10,000 रुपये का मुआवजा और 1,500 रुपये का कानूनी खर्च भी देना होगा।
सूरत की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायाधीश डॉ. श्रीमती सुप्रीत कौर गाबा ने अपने फैसले में कहा कि घरेलू हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है और पीड़ितों को न्याय दिलाना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में, रूपल के साथ हुए अत्याचार स्पष्ट हैं और उसे न्याय मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ता रूपल की ओर से पेश वकील प्रीति जिग्नेश जोशी ने कहा कि यह फैसला घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से अन्य पीड़ित महिलाओं को भी न्याय पाने की प्रेरणा मिलेगी।