मुंबई : रामायण' की चौपाइयों की आवाज बन घर-घर लोकप्रिय हुए थे रवींद्र जैन
संगीतकार, गीतकार और गायक के रूप में उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई सदाबहार नगमे दिये
मुंबई । सुमधुर धुनें और सुरीले नगमे, रवींद्र जैन के विराट व्यक्तित्व का सहज परिचय कराते हैं। संगीतकार, गीतकार और गायक के रूप में उन्होंने हिंदी सिनेमा को कई सदाबहार नगमे दिये। रामानंद सागर की सुप्रसिद्ध रामायण धारावाहिक में उनकी गायी चौपाइयों ने उन्हें घर-घर पहुंचा दिया था। 71 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर 2015 को इस महान कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जन्मे रवीन्द्र जैन जन्म से नेत्रहीन थे। उन्होंने प्रयाग संगीत समिति से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली थी। 1971 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, जब उनके संगीत निर्देशन में पहली बार पांच गाने रिकॉर्ड हुए। 1972 में कांच और हीरा की असफलता के बाद उन्होंने फिल्म चोर मचाए शोर, चितचोर, तपस्या, दुल्हन वही जो पिया मन भाए, अंखियों के झरोखों से, राम तेरी गंगा मैली, हिना, इंसाफ का तराजू, प्रतिशोध जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में संगीत दिया। रवींद्र जैन ने कई प्रसिद्ध गीत भी लिखे। रवींद्र जैन को साल 2015 में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार दिया। उससे पहले राम तेरी गंगा मैली के संगीत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर भी मिला था।