नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने शहीद भगत सिंह को उनकी जयंती पर याद किया

अमित शाह, भाजपा, कांग्रेस ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को नमन किया

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने शहीद भगत सिंह को उनकी जयंती पर याद किया

नई दिल्ली, 28 सितंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को शहीद भगत सिंह को उनकी 117वी जयंती पर याद करते हुए कहा कि वे साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति थे।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक वीडियो क्लिप पोस्ट कर लिखा, "मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले अमर शहीद भगत सिंह को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।"

प्रधानमंत्री ने वीडियो क्लिप में कहा कि वह समस्त देशवासियों की ओर से साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद भगत सिंह को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन की चिंता किये बगैर भगत सिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।

कृतज्ञ राष्ट्र आज भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह का भावपूर्ण स्मरण कर उन्हें नमन कर रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उन्हें नमन किया है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स हैंडल में लिखा, ''क्रांतिवीर भगत सिंह जी ने न केवल ब्रिटिश हुकूमत को बुलंद आवाज से ललकारा, बल्कि देश की स्वतंत्रता व सुनहरे कल के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी। एक ओर उन्होंने अपने ओजस्वी विचारों से युवाओं को मां भारती की स्वाधीनता के लिए प्रेरित किया, तो दूसरी ओर टुकड़ों में बंटे स्वतंत्रता संग्राम को संगठित किया। उनके बलिदान की चिंगारी ऐसी महाज्वाला बनी, जिससे पूरे देश में आजादी की लहर और प्रचंड हो गई। शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी को उनकी जयंती पर कोटिशः वंदन।''

भाजपा ने एक्स हैंडल पर लिखा, ''देशभक्ति, शौर्य और पराक्रम के अद्वितीय प्रतीक शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर शत्-शत् नमन।'' इसके अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उन्हें नमन किया है। कांग्रेस ने एक्स पर लिखा, ''देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले महान क्रांतिकारी अमर शहीद भगत सिंह जी की जयंती पर कोटिश: नमन।''

उल्लेखनीय है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म पंजाब के बंगा (अब पाकिस्तान) में 28 सितंबर, 1907 को हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से भारत माता को मुक्त कराने की लड़ाई लड़ी। उनको कम उम्र में 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में मौत की सजा दे दी गई। भगत सिंह के प्रेरक नारा 'इंकलाब जिंदाबाद' देशभक्ति की भावना को जगाता है।