सीमा सुरक्षा के लिए बृहद् ड्रोन रोधी इकाई गठित करेगा भारत: अमित शाह

सीमा सुरक्षा के लिए बृहद् ड्रोन रोधी इकाई गठित करेगा भारत: अमित शाह

(नीलाभ श्रीवास्तव)

जोधपुर, नौ दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही एक बृहद ड्रोन रोधी इकाई का गठन करेगा, क्योंकि आने वाले दिनों में मानव रहित यानों का "खतरा" गंभीर होने वाला है।

भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित बीएसएफ के प्रशिक्षण शिविर में बीएसएफ के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक समारोह में जवानों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि ‘‘लेजर युक्त ड्रोन रोधी गन-माउंटेड’’ तंत्र के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इससे पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन को मार गिराने और उनका पता लगाने की क्षमता तीन प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है।

शाह ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में ड्रोन का खतरा और भी गंभीर होने वाला है... हम इससे निपटने के लिए समग्र सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए रक्षा और अनुसंधान संगठनों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आने वाले समय में देश के लिए एक बृहद ड्रोन रोधी इकाई का गठन करने जा रहे हैं।’’

आधिकारिक आंकड़े के अनुसार पाकिस्तान से सटी भारत की सीमा से लगे इलाके में इस वर्ष 260 से अधिक ड्रोन मार गिराये गए या बरामद किए गए हैं, जबकि 2023 में यह आंकड़ा करीब 110 ड्रोन का था।

हथियार और नशीले पदार्थ ले जाने में ड्रोन के इस्तेमाल की सबसे अधिक घटनाएं पंजाब में हुई हैं, जबकि राजस्थान और जम्मू में कुछ घटनाएं हुई हैं।

गृहमंत्री ने रस्मी परेड का अवलोकन किया और सलामी ली तथा वीरता पुरस्कार विजेताओं को पदक और कुछ अन्य अलंकरण प्रदान किए।

बीएसएफ की स्थापना एक दिसंबर 1965 को की गई थी जिसमें फिलहाल 2.65 लाख जवान हैं। मुख्य रूप से इसका काम देश के आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों के निर्वहन के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगती 6,300 किलोमीटर की भारतीय सीमा की सुरक्षा करना है।

शाह ने कहा कि पाकिस्तान (2,289 किलोमीटर) और बांग्लादेश (4,096 किलोमीटर) से सटी भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) पर काम प्रगति पर है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें असम के धुबरी (भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा) में नदी सीमा पर स्थापित सीआईबीएमएस के प्रभावशाली परिणाम देखने को मिल रहे हैं लेकिन कुछ सुधार की जरूरत है।’’

मंत्री ने यह भी कहा कि उत्तरी सीमाओं की आबादी को विकसित करने और मुख्यधारा में लाने के लिए मोदी सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) को भविष्य में देश के सभी सीमावर्ती गांवों के लिए लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार की ‘‘सबसे बड़ी उपलब्धि’’ है, जिसमें सीमा सुरक्षा को बढ़ाने और इन दूरदराज के इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए 4,800 करोड़ रुपये के कोष आवंटन के साथ काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इसे वर्तमान में लगभग 3,000 गांवों में "प्रायोगिक आधार" पर संचालित किया जा रहा है। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत की सीमाओं को मजबूत करने के लिए "बड़ा" बजट मंजूर किया है जिसमें बाड़ लगाना, सीमावर्ती बुनियादी ढांचा, सड़कें और अन्य साजोसामान शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2047 तक भारत के लिए वैश्विक मान्यता प्राप्त करना और नंबर एक स्थान हासिल करना हमारे सुरक्षा कर्मियों के बिना संभव नहीं है... जो समर्पण के साथ हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं।’’

भारत की सीमाओं की सुरक्षा के बारे में शाह ने कहा कि कई वर्षों से भारत की सीमा सुरक्षा नीति में "स्पष्टता का अभाव" था।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान सीमा प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण और "एक सीमा, एक बल" नीति शुरू की गई थी, जो नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद और भी अधिक परिभाषित हो गई है।’’

शाह ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा के 591 किलोमीटर पर बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि 579 निगरानी चौकियों के निर्माण के अलावा सीमा के 1,159 किलोमीटर पर फ्लडलाइट "लगाई" गई हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 685 स्थानों पर बिजली कनेक्शन, 575 स्थानों पर पानी के कनेक्शन और बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 570 सौर संयंत्र लगाए गए हैं।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में 1,812 किलोमीटर सड़कों के अलावा लगभग 573 नयी सीमा चौकियां बनाई हैं।

बीएसएफ के महानिदेशक (डीजी) दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि विभिन्न बटालियन में 13,226 नये प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात किया गया है और इससे बल की "संचालन शक्ति" में इजाफा होगा।

उन्होंने कहा कि 4,000 नये भर्ती किए गए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जबकि लगभग 12,000 अगले महीने सुरक्षा और युद्ध कौशल सीखने के लिए बल में शामिल होंगे और उसके बाद उन्हें सीमाओं पर तैनात किया जाएगा।

चौधरी ने पाकिस्तान सीमापार से दुश्मन द्वारा हथियार और मादक पदार्थ के साथ भेजे जा रहे ड्रोन की "बढ़ती संख्या" के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इस साल पश्चिमी सीमा पर 250 से अधिक ड्रोन का पता लगाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस खतरे को रोकने के लिए डीआरडीओ द्वारा निर्मित ड्रोन रोधी प्रणाली तैनात की है।’’