सूरत : पार्सल मुद्दे को लेकर स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा व्यापारी 

ट्रांसपोर्ट-मजदूर यूनियन जब ग्राहकी चलती है तभी क्यों व्यापारियों पर दबाव बनाते हैं?

सूरत : पार्सल मुद्दे को लेकर स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा व्यापारी 

पिछले कुछ दिनों से कपड़ा बाजार में पार्सल के वजन को लेकर के काफी चर्चाएं चल रही हैं। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के नाम पर लेटर पैड जारी करके यह बताया जा रहा है कि 65 किलो से ऊपर के पार्सल नहीं लिए जाएंगे। इसके साथ ही व्यापारिक संगठनों ने भी अपना लेटरपैड जारी करके 65 किलो से ऊपर के पार्सल न भरने के लिए आग्रह किया है। इन चर्चाओं तथा फरमानों के बीच आम व्यापारी ठगा सा महसूस कर रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह फरमान जारी करने वाले जब ग्राहकी चलती है तभी क्यों व्यापारियों पर दबाव बनाते हैं? अन्य समय में तो यह उस तरह सुसुप्तावस्था में रहते हैं जैसे सांप सूंघ गया हो। जैसे ही तेजी आती है वैसे ही यह बाहर निकल कर फुंफकारने लगते हैं। व्यापारी वर्ग इस प्रकार के फरमानों से परेशान होता है तथा उसका ध्यान अपने व्यापार से हटकर ऐसी छुद्र बातों पर चला जाता है। 

बाहर मंडियों का व्यापारी न तो यहां के व्यापारी की सुनता है और न ही ट्रांसपोर्ट वाले उन्हें कुछ बोल सकते हैं। वैसे देखा जाए तो सूरत के व्यापारी का सीधा हस्तक्षेप ट्रांसपोर्ट में नहीं रहता, उसे तो बाहर के मंडियों का व्यापारी जिस ट्रांसपोर्ट में बोलता है उसी में माल भेजना रहता है। अतः यहां का व्यापारी न तो ट्रांसपोर्ट से कोई जुड़ाव रखता है न ही उसे कोई विशेष सरोकार रहता है। लेकिन यहां की ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन जब भी बाजार थोड़ा चलने लगता है तब गाहेबगाहे कुछ न कुछ फरमान जारी कर ही देती है। कटुसत्य यह भी है कि कुछ ट्रांसपोर्ट उनसे कोई मतलब भी नहीं रखते। इसके साथ ही मजदूर यूनियन भी अपना फरमान जारी करके धमकी तक दे रही है। मजदूर यूनियन मजदूरों से कितना सरोकार रखते हैं यह सर्वविदित है। कुल मिलाकर बात यह है कि व्यापारी स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। क्योंकि उसके लिए बोलने वाला संगठन कोई नहीं बचा है। टेक्सटाईल युवा ब्रिगेड और आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत ही अब तक प्रतिकार किये हैं। व्यापारी किस पर भरोसा करें? यही यक्ष प्रश्न व्यापारी के समक्ष खड़ा है।

 65 किलो से छोटे होते हैं अधिकांश पार्सल : हरवंशलाल अरोरा

सूरत टेक्सटाइल मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख हरवंशलाल अरोरा ने लोकतेज को बताया कि अधिकांश पार्सल 65 किलो से छोटे होते हैं। कभी-कभी कोई पार्सल उससे बड़ा भी हो जाता है। कुल मिलाकर 80 पार्सल 65 किलोग्राम से छोटे ही होते हैं। धीरे-धीरे इसमें भी एडजस्ट हो जाएगा। 

 एक साइज का पार्सल तो होता ही नहीं : पप्पू छापरिया

 सिल्क प्लाजा मार्केट के अग्रणी पप्पू छापरिया ने लोकतेज को बताया कि पार्सल कभी भी एक साइज का नहीं होता, कोई छोटा तो कोई बड़ा भी होता है। सूरत मार्केट बायर्स का हो गया है। बाहर की मंडी के व्यापारी जिस ट्रांसपोर्ट में बोलते हैं वहां पार्सल भिजवा दिया जाता है। वजन के हिसाब से भाड़ा हो तो बेहतर है। मशीनरी युग में श्रमयोगियों को ढाल बनाना ठीक नहीं है।

व्यापारियों की क्लेम समस्या निपटाने में भी व्यापारिक संगठन को मदद करना चाहिए : कमलेशभाई जैन

 मिलेनियम मार्केट के कमलेशभाई जैन ने लोकतेज को बताया कि श्रमयोगियों को लेकर नियम होता तो पूरे देश में एक समान नियम होते। सूरत में भिवंडी, मालेगांव, इच्छलकरंजी, राजस्थान के बालोतरा एवं पाली से 125 से 150 किलो वजन के पार्सल ट्रांसपोर्ट में आते हैं वहां से मिलों में भेजे जाते हैं। जब उक्त शहरों से भारी वजन के पार्सल आते हैं तो क्या वहां के लेबर पर नियम लागू नहीं होता? व्यापारिक संगठन अगर 65 किलो वजन को मान्य रखने के लिए सूरत के व्यापारियों को बाधित करते हैं तो हम व्यापारियों की क्लेम समस्या निपटाने में भी व्यापारिक संगठन को मदद करना चाहिए। कुल मिलाकर नुकसान तो व्यापारियों को होगा। आज के मशीनरी युग में मशीनरी का उपयोग कर वजन वाले पार्सल को ट्रकों में लोडिंग-अनलोडिंग के समय उपयोग करना चाहिए, श्रमयोगियों को ढाल नहीं बनाना चाहिए।

Tags: Surat