रांची : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने झामुमो की प्राथमिक सदस्यता व सभी पदों से दिया इस्तीफा

झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं आम लोगों के मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा

रांची : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने झामुमो की प्राथमिक सदस्यता व सभी पदों से दिया इस्तीफा

रांची, 28 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने बुधवार काे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमाे) के प्राथमिक सदस्यता व सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज झामुमो की प्राथमिक सदस्यता एवं सभी पदों से त्याग-पत्र दिया। झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं आम लोगों के मुद्दों को लेकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

इससे पहले चंपाई सोरेन ने रांची एयरपोर्ट पर पत्रकाराें से बातचीत में कहा कि भाजपा का दामन थामने के लिए मैंने काफी सोच-समझ कर फैसला लिया है। 30 अगस्त को वे भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि मेरे भाजपा में जाने के फैसले से सिर्फ कोल्हान में ही नहीं पूरे झारखंड की राजनीति में असर पड़ेगा। जासूसी कराये जाने के सवाल पर कहा कि सरकार जो चाहे करा ले, मैं डरने वाला नहीं हूं। मैंने सही निर्णय लिया है। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के प्रति हमारे दिल में हमेशा आस्था बनी रहेगी।

चंपाई सोरेन ने इस्तीफे में लिखा है

आदरणीय गुरु जी. जोहार !

मैं चंपाई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा की वर्तमान कार्यशैली एवं नीतियों से विक्षुब्ध होकर, पार्टी छोड़ने को विवश हूं। अत्यंत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आपके मार्गदर्शन में जिस पार्टी का सपना हम जैसे कार्यकर्ताओं ने देखा था, एवं जिसके लिए हम लोगों ने जंगलों, पहाड़ों एवं गांवों की खाक छानी थी, आज पार्टी अपनी उस दिशा से भटक चुकी है। झामुमो मेरे लिए एक परिवार जैसा रहा एवं मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इसे छोड़ना पड़ेगा. लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम की वजह से, मुझे बहुत ही पीड़ा के साथ यह कठिन निर्णय लेना पड़ा रहा है।

आपके वर्तमान स्वास्थ्य की वजह से, आप सक्रिय राजनीति से दूर हैं, तथा आपके अलावा पार्टी में ऐसा कोई फोरम नहीं है, जहां हम अपनी मन की पीड़ा को बता सकें। इस वजह से, मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता एवं सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। आपके मार्गदर्शन में, झारखण्ड आंदोलन के दौरान तथा उसके बाद भी, मुझे जीवन में बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ है। आप सदैव मेरे मार्गदर्शक बने रहेंगे। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार करने की कृपा करें। सधन्यवाद !