मुंबई : रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर रखा यथावत
सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई दर 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान
मुंबई/नई दिल्ली, 08 अगस्त (हि.स.)। अर्थव्यस्था के र्मोचे पर अच्छी खबर है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के पूर्वानुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.5 फीसदी पर रहने के अनुमान को कायम रखा है। जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.08 फीसदी पर पहुंच गई थी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को यहां वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कृषि गतिविधियों में सुधार होने से ग्रामीण उपभोग की संभावनाएं उज्जवल होंगी, जबकि सेवा गतिविधियों में निरंतर उछाल से शहरी उपभोग को समर्थन मिलेगा।
शक्तिकांत दास ने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में वृद्धि की दर 7.1 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए विकास दर 7.2 फीसदी (दोनों ओर घट-बढ़ के साथ) रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि सामान्य मानसून के पूर्वानुमान और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 4.9 प्रतिशत मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। यह दूसरी तिमाही में 4.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.7 फीसदी तथा चौथी तिमाही में 4.3 फीसदी रहेगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर 4.4 फीसदी (दोनों ओर घट-बढ़ के साथ) रहने का अनुमान है।
इसके अलाव उन्होंने कहा कि ईंधन की महंगाई दर लगातार दसवें महीने कम हुई है। यह मई तथा जून में कुल मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों का सिलसिला जुलाई में जारी रहने की संभावना है। दास ने कहा कि दूध की कीमतों और मोबाइल शुल्क में संशोधन के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है। उन्हाेंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ती रहे। इसके साथ ही वृद्धि को भी समर्थन मिले।