देश के बजट का 12 फीसदी हिस्सा रक्षा मंत्रालय को मिला, 6.22 लाख करोड़ रुपये आवंटित

समृद्ध और आत्मनिर्भर ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ने में मदद करेगा बजट : रक्षा मंत्री

देश के बजट का 12 फीसदी हिस्सा रक्षा मंत्रालय को मिला, 6.22 लाख करोड़ रुपये आवंटित

आधुनिकीकरण बजट का 75 फीसदी हिस्सा यानी 1,05,518.43 करोड़ रुपये निर्धारित

नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। केन्द्रीय बजट में सरकार के अन्य मंत्रालयों के मुकाबले सबसे ज्यादा रक्षा मंत्रालय को 6.22 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में यह 4.79 फीसदी अधिक है। यह आवंटन कुल बजटीय अनुमान का लगभग 12.90 फीसदी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह बजट समृद्ध और आत्मनिर्भर ‘विकसित भारत’ की ओर बढ़ने में मदद करेगा। साथ ही सशस्त्र बलों की ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देगा।

वित्तीय वर्ष 2024-25 के नियमित केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6,21,940.85 करोड़ रुपये (लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर) आवंटित किए गए हैं, जो सभी मंत्रालयों में सबसे अधिक है। रक्षा मंत्रालय ने इस वित्त वर्ष के दौरान घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए आधुनिकीकरण बजट का 75 फीसदी हिस्सा यानी 1,05,518.43 करोड़ रुपये निर्धारित किया है। इसका सकल घरेलू उत्पाद, रोजगार सृजन और पूंजी निर्माण पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। वित्त वर्ष 2024-25 के नियमित बजट में ईसीएचएस को 6,968 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के आवंटन से 28 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ईसीएचएस का बजट अनुमान से 70 फीसदी अधिक बढ़ाया गया था।

रक्षा पेंशन बजट बढ़ाया गया

रक्षा पेंशन के लिए कुल बजटीय आवंटन 1,41,205 करोड़ रुपये है, जो 2023-24 के दौरान किए गए आवंटन से 2.17 फीसदी अधिक है। यह बजट लगभग 32 लाख पेंशनभोगियों की मासिक पेंशन पर खर्च किया जाएगा। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय को आवंटित राशि वित्त वर्ष 2022-23 के आवंटन से लगभग एक लाख करोड़ रुपये (18.43 फीसदी) अधिक है और वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से 4.79 फीसदी अधिक है। इसमें से 27.66 फीसदी हिस्सा पूंजी में, 14.82 फीसदी हिस्सा जीविका और परिचालन तैयारियों पर राजस्व व्यय के लिए, 30.66 फीसदी वेतन और भत्तों के लिए, 22.70 फीसदी रक्षा पेंशन के लिए और 4.17 फीसदी रक्षा मंत्रालय के तहत नागरिक संगठनों के लिए है।

केंद्र में सेनाओं का आधुनिकीकरण

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा बलों को पूंजीगत मद में बजटीय आवंटन 1.72 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2022-23 के वास्तविक व्यय से 20.33 फीसदी अधिक है और वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित आवंटन से 9.40 फीसदी अधिक है। बढ़ा हुआ बजट सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीक, घातक हथियार, लड़ाकू विमान, जहाज, पनडुब्बियां, प्लेटफॉर्म, मानव रहित हवाई वाहन, ड्रोन, विशेषज्ञ वाहन आदि से लैस करने के उद्देश्य से नियोजित पूंजीगत अधिग्रहणों पर वार्षिक नकद व्यय की आवश्यकता को पूरा करेगा। वित्त वर्ष के दौरान घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए आधुनिकीकरण बजट का 75 फीसदी हिस्सा यानी 1,05,518.43 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।

सेनाओं की ऑपरेशनल क्षमता सशस्त्र बलों को हर समय युद्ध के लिए तैयार रखने के मकसद से सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान इस मद में 92,088 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 2022-23 के बजटीय आवंटन से 48 फीसदी अधिक है। इसका उद्देश्य विमान और जहाजों सहित सभी प्लेटफार्मों को सर्वोत्तम रखरखाव सुविधाएं और सहायता प्रणाली प्रदान करना है। इससे गोला-बारूद की खरीद और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए सेनाओं की अग्रिम क्षेत्रों में तैनाती मजबूत होगी।

रणनीतिक सीमावर्ती बुनियादी ढांचा होगा

सीमावर्ती क्षेत्रों में अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 6,500 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से 30 फीसदी और वित्त वर्ष 21-22 के आवंटन से 160 फीसदी अधिक है। इस वर्ष के वित्तीय प्रावधान से सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरफील्ड का विकास, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारत के सबसे दक्षिणी पंचायत तक स्थायी पुल संपर्क, हिमाचल प्रदेश में 4.1 किलोमीटर की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिंकू ला सुरंग, अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग और कई अन्य परियोजनाओं को वित्त पोषित किया जाएगा।

भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता बढ़ेगी

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय तटरक्षक बल को 7,651.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के आवंटन से 6.31 फीसदी अधिक है। इसमें से 3,500 करोड़ रुपये केवल पूंजीगत व्यय पर खर्च किए जाने हैं, जिससे उभरती समुद्री चुनौतियों से निपटने और अन्य देशों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए आईसीजी के शस्त्रागार में और अधिक ताकत आएगी। इस आवंटन से तेज गति से चलने वाले गश्ती वाहनों, इंटरसेप्टर, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली और हथियारों के अधिग्रहण में सुविधा होगी।

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