कोलकाता : भारत का समृद्ध इतिहास संजोए 170 साल का हुआ हावड़ा स्टेशन

1854 से समृद्ध इतिहास के साथ भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है

कोलकाता : भारत का समृद्ध इतिहास संजोए 170 साल का हुआ हावड़ा स्टेशन

कोलकाता, 20 जुलाई (हि.स.)। पश्चिम बंगाल ही नहीं देश के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक हावड़ा रेलवे स्टेशन 170 सालों का हो गया है। ये भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। 1854 से समृद्ध इतिहास के साथ, यह वर्षों में विकसित हुआ है और आज दुनिया के सबसे व्यस्ततम ट्रेन स्टेशनों में से एक बन गया है।

पूर्व रेलवे के प्रवक्ता कौशिक मित्रा ने शनिवार को बताया कि 23 प्लेटफार्मों के साथ, यह दुनिया के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है, जो हर दिन एक मिलियन से अधिक यात्रियों को संभालता है।

संजोए हुए हैं भारत के औपनिवेशिक काल का इतिहासः हावड़ा स्टेशन का इतिहास 1854 से जुड़ा है, जब इसे ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गया था। स्टेशन की स्थापना के बाद 15 अगस्त 1854 को, पहली सार्वजनिक ट्रेन हावड़ा-हुगली मेन लाइन पर स्टेशन से चली, जिसने भारतीय रेल में एक नए युग की शुरुआत की।

विस्तार और विकासः मित्रा बताते हैं कि वर्षों में, स्टेशन ने बढ़ते यात्री और माल यातायात को समायोजित करने के लिए कई विस्तार किए। 1905 में, छह अतिरिक्त प्लेटफार्मों का निर्माण किया गया, जिससे प्लेटफार्मों की कुल संख्या सात हो गई। 1984 में, आठ और प्लेटफार्मों का निर्माण हुआ, जिससे कुल संख्या 15 हो गई। 1992 में एक नया टर्मिनल कॉम्प्लेक्स बनाया गया, जिससे चार और प्लेटफार्म जुड़े और अंततः 2009 में स्टेशन का विस्तार हुआ और वर्तमान 23 प्लेटफार्म हो गए।

पूर्वोत्तर का है गेट-वेः कौशिक मित्रा ने बताया कि हावड़ा स्टेशन कोलकाता को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ता है, जिसमें नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों के लिए ट्रेनें चलती हैं। इतना ही नहीं हावड़ा स्टेशन भी अपने आप में एक लोकप्रिय पर्यटन का केंद्र है। ये स्टेशन अपने भव्यता और ऐतिहासिक महत्व को देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है।

तकनीक के साथ लगातार कदमतालः तकनीक का हाथ पड़कर तेजी से विकसित होती दुनिया के साथ भी कदमताल करने में यह औपनिवेशिक स्टेशन पीछे नहीं रहा है। हाल के वर्षों में, हावड़ा स्टेशन में महत्वपूर्ण अपग्रेड और नवीनीकरण किए गए हैं। 1992 में प्लेटफार्म 20 और 21 का विस्तार किया गया था। उसके बाद 2002 में नई कैब रोड का निर्माण और प्लेटफार्म 14 और 15 का चौड़ीकरण इसके कुछ उदाहरण हैं।

10 लाख से अधिक लोग करते हैं सफरः आज हावड़ा स्टेशन भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन माना जाता है। यह हर दिन एक मिलियन से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करता है और 450 उपनगरीय लोकल ट्रेनें और 107 लंबी दूरी की ट्रेनें संचालित करता है। स्टेशन के 23 प्लेटफार्म 24 से अधिक कोचों वाली ट्रेनों को संभालते हैं, जिससे यह दुनिया के सबसे व्यस्ततम ट्रेन स्टेशनों में से एक है। अपने लंबे सफर और लगातार नवीकरण की वजह से हावड़ा स्टेशन प्रगति और विकास का प्रतीक है, जो भारतीय रेल की वर्षों से हुई वृद्धि को दर्शाता है।

ऐतिहासिक है स्टेशन का वॉच टावर और शानदार वास्तुकलाः कौशिक मित्रा कहते हैं कि स्टेशन की प्रतिष्ठित घड़ी टॉवर और भव्य वास्तुकला इसे कोलकाता में एक प्रतिष्ठित स्थल बनाते हैं। ये दशकों से कई कहानियों को संजोए हुए हैं। हावड़ा स्टेशन की मौजूदगी भारतीय रेल की वृद्धि और विकास की गाथा का प्रमाण है। अपनी छोटी शुरुआत से लेकर एक प्रमुख परिवहन केंद्र के रूप में वर्तमान स्थिति तक, हावड़ा स्टेशन ने लंबा सफर तय किया है, और इसका इतिहास प्रगति और नवाचार की एक दिलचस्प कहानी है।

कुछ ऐसा रहा है सफर

1854: हावड़ा स्टेशन की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई।

1905: छह अतिरिक्त प्लेटफार्म जोड़े गए।

1984: आठ और प्लेटफार्मों का निर्माण हुआ।

1992: नए टर्मिनल कॉम्प्लेक्स का निर्माण हुआ, जिससे चार और प्लेटफार्म जुड़े।

2009: स्टेशन का विस्तार हुआ और 23 प्लेटफार्म बने।

2002: नई कैब रोड का निर्माण हुआ।

2008: एक रेल संग्रहालय स्थापित किया गया।

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