अहमदाबाद : हाईकोर्ट ने सरकार-पशु कल्याण बोर्ड से मांगा जवाब

चूहों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाले ग्लू ट्रैप को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका

अहमदाबाद : हाईकोर्ट ने सरकार-पशु कल्याण बोर्ड से मांगा जवाब

 गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित रिट याचिका दायर की गई है जिसमें प्रतिबंध के बावजूद चूहों और इसी तरह की प्रजातियों को फंसाने के लिए उपयोग किए जाने वाले गोंद जाल के खुलेआम निर्माण, बिक्री और उपयोग का मुद्दा उठाया गया है। जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायाधीश अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार, पशु कल्याण बोर्ड और पशुपालन निदेशक से जवाब-तलब किया।

 ग्लु ट्रेप का उपयोग कानूनन प्रतिबंध होने के बावजूद इसका उत्पादन, विक्रय एवं उपयोग चालू होने का आरोप 

 गोंद जाल चिपकने वाले पदार्थों से लेपित बोर्ड होता है। इसका उपयोग फर्श पर घूमने वाले चूहों जैसी प्रजातियों को फंसाने के लिए किया जाता है, जो फ्लोर पर घूमते समय वे इसमें फंस जाते हैं और बोर्ड के गोंद से चिपक जाते हैं। ऐसे गोंद जाल बोर्डों पर पकड़े गए जीव अक्सर धीमी, कष्टकारक मौत के शिकार होते हैं। ग्लू ट्रैप के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला परिपत्र राज्य के पशु कल्याण बोर्ड द्वारा पिछले साल 5 सितंबर को पशुओं की रोकथाम अधिनियम की धारा -11 के तहत पारित किया गया था। हालाँकि, यह सर्कुलर केवल कागजों तक ही सीमित है और इसे लागू नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के संबंधित निर्देशों और कानूनी प्रावधानों के निषेध के बावजूद - ग्लू ट्रैप का अवैध निर्माण, बिक्री और उपयोग खुलेआम चल रहा है। विशेषकर ग्लू ट्रेप खेतों, कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक उपयोग किया जाता है। 

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की खंडपीठ ने कहा कि गोंद के जाल में फंसे चूहे जब शारीरिक कार्यों पर नियंत्रण खो देते हैं तो वे हंतावायरस छोड़ते हैं और यह मनुष्यों के लिए संभावित रूप से खतरनाक हो सकता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, कनाडा ने उनके उपयोग के खिलाफ विशेष रूप से हंतावायरस के खतरे के बारे में चेतावनी दी है। पीठ ने आगे कहा कि जनहित रिट में चूहों, पक्षियों, छिपकलियों, सांपों, चमगादड़ों, गिलहरियों और छोटे जानवरों के फंसने को लेकर उजागर किया है। जो मनुष्यों के लिए एक बीमारी का खतरा भी पैदा करता है। जिससे इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है, ऐसा कहते हुए उच्च न्यायालय ने सरकारी वकील को राज्य सरकार, गुजरात राज्य पशु कल्याण बोर्ड और पशुपालन निदेशक से जवाब मांगने का निर्देश दिया और जुलाई में आगे की सुनवाई निर्धारित की।

ऑनलाईन एवं कुछ दुकानों पर बेचा जाता है ग्लू ट्रेप

ग्लू ट्रेप के बारे में पूछे जाने पर एम.के. रंगवाला ने बताया कि ग्लू ट्रेप का उपयोग जमीन पर रेंगने वाले चूहों, सांप, छिपकली जैसे जीवों के किया जाता है। हालांकि इसका उपयोग जीवों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बावजूद इसके ऑनलाईन एवं कुछ दुकानों पर बेचा जा रहा है। सरकार की ओर से प्रतिबंध होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे कोई जानकारी नही है, लेकिन जीवों के रक्षार्थ इस प्रतिबंध होना चाहिए।

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