चुनावी मैदान का अखाड़ा बना सोशल मीडिया

पर्दे के पीछे का यह चुनाव प्रचार काफी महत्वपूर्ण हो गया है

चुनावी मैदान का अखाड़ा बना सोशल मीडिया

खूंटी, 2 मई (हि.स.)। समय के साथ ही लोकसभा चुनाव के प्रचार का तरीका भी बदलता जा रहा है। अब प्रत्यक्ष चुनाव प्रचार और जनसंपर्क के अलावा इस संसदीय चुनाव में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है। पर्दे के पीछे का यह चुनाव प्रचार काफी महत्वपूर्ण हो गया है। सही मायने में चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया की भूमिका काफी व्यापक हो गई है। लगभग सभी राजनीतिक दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल करने और मतदाताओं को रिझाने के लिए मीडिया वार रूम बना रखा है।

विपक्षियों की कमजोरियों को उजगर करने, चुनाव प्रचार को धार देने और अपने उम्मीदवार की छवि निखारने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उम्मीदवारों के चुनावी दौरे, सभा, बड़े नेताओं के भाषण और स्थानीय स्तर पर मिली जानकारी को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया जाता है। इसमें भी आचार संहिता का खास खयाल रखा जाता है। सोशल मीडिया पोस्ट नजर रखने के लिए लगभग सभी बड़े राजनीतिक दल कानून के जानकारों की सलाह लेते हैं। भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और पिछले कई चुनावों पर पैनी नजर रखने वाले संतोष जयसवाल कहते हैं कि सोशल मीडिया कई तरह की जानकारियों का घर बन गया है। उनका कहना है कि पहले अखबार, टीवी, रेडियो थे, पर आज सोशल मीडिया इन सबसे काफी आगे निकल गया है। सही मायने में आजकल चुनाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लड़े जाते हैं। फेसबुक, ट्विटर, वाटसएप, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, एक्स जैसे कई मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग इस चुनाव में बेधड़क किया जा रहा है।

सभी दलों ने बना रखे है अपने-अपने पेज

चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया पर प्रोमोट करने के लिए उम्मीदवार और राजनीतिक दल जमकर पैसे खर्च कर रहे हैं। कई राजनीतिक दलों ने तो सोशल मीडिया के लिए एजेंसियों को भी हायर कर रखा है, जो चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। सोशल मीडिया के जानकार चंदन कुमार कहते हैं कि इस बार बैनर-पोस्टर लगे चुनाव प्रचार वाहनों के काफिले नजर नहीं आ रहे हैं। छोटे नेेताओं की चुनावी सभाओं में भी अपेक्षाकृत कम भीड़ उमड़ रही है। इस बार चुनावी महा समर पूरी तरह वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर निर्भर है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार का समय निर्धारण और कई अन्य तरह की पाबंदियों के कारण राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर अपनी ताकत झोंक रहे हैं। पार्टी के नेता और समर्थक फेसबुक, ट्विटर, वाटसएप, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, एक्स जैसे कई मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। सभी अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करने और उन्हें रिझाने के लिए कई तरह के पोस्ट कर रहे हैं।

Tags: Feature