मास मीडिया के बदलते परिदृश्य और अवसर

मास मीडिया के बदलते परिदृश्य और अवसर

भारत में मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ोत्तरी देखी गयी है, जो देश की आर्थिक उन्नति का एक प्रमुख कारक है। तकनिक के क्षेत्र में लगातार हो रहे प्रयोगों और उसके इस्तेमाल की वजह से ये शताब्दी जनसंचार के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की ओर चल रहा है। नए मीडिया के प्रसार ने सूचना के प्रसारण, उपभोग और प्रक्रिया को पुरी तरह से बदल दिया है। जनसंचार से जुड़े लोगों के लिए ये जरूरी है कि वे समकालीन मीडिया की बारीकियों से खुद को परिचित कर ले। जनसंचार के क्षेत्र में सफलता के लिए इसके ऐतिहासिक विकास क गहन समझ की आवश्यकता होती है, विशेषकर न्यू मीडिया की अवधारणा के संबंध में।

तकनीकी प्रगति और डिजिटलीकरण की बदौलत, विशेषकर महामारी के दौरान, मास मीडिया व्यवसाय में जबरदस्त विस्तार देखा गया है। डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन मनोरंजन, ईमेल आउटरीच, संचार के व्यक्तिगत रूप और ऑनलाइन संचार सहित कई क्षेत्रों का परिदृश्य काफी बदल चुका है। संचार के क्षेत्र में हो रही प्रगति के पीछे डिजिटल विज्ञापन में आया उछाल मुख्य कारक रहा है। इसके साथ ही तीस से अधिक व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं के साथ, भारत का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र विविधता से समृद्ध है। सदी के अंत तक मनोरंजन परिदृश्य को ज्यादातर टेलीविजन, फिल्में, प्रिंट मीडिया और रेडियो द्वारा आकार दिया गया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चीजें काफी बेहतर हुई हैं, खासकर फिल्मों, टीवी शो और संगीत के डिजिटलीकरण के साथ। इस क्षेत्र ने पूरी तरह से डिजिटलीकरण को अपना लिया है, जिससे तकनीकी प्रगति के कारण ऑनलाइन सामग्री की खपत में वृद्धि हुई है। कई क्षेत्रों में मांग और मुद्रीकरण बढ गया है, और डिजिटल सामग्री का उपयोग और उपभोग करने वाले लोगों की संख्या आसमान छू गई है।

जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त छात्र छात्राओं के लिए आज अपार संभावनाएं मौजूद है। संचार में विशेषज्ञता हासिल करने का इरादा रखने वाले छात्रों के लिए कई अवसर उपलब्ध हैं। मोबाइल उपकरणों की व्यापक उपलब्धता के कारण डिजिटल श्रेणी में पत्रकारिता के एक नये आयाम का सृजन हुआ है। डिजीटल मिडीया की लोगों तक बेहतर पंहुच, नयी पीढ़ी के लिए एक बेहतर अवसर मुहैया करा रही है। डिजिटल मीडिया उपभोग का भविष्य आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता जैसी प्रौद्योगिकियों द्वारा आकार दिया जा रहा है। डिजिटल मीडिया की खपत डेटा एनालिटिक्स, अर्थात् डेटा के सटीक उपयोग से प्रभावित होगी।

डिजीटल संचार के इस दौर में एक तरफ हम जंहा संचार के माध्यमों का जमकर उपयोग कर रहे हैं वहीं इसके दुरपयोग क भी कई मामले देखने को मिल रहे है। एक तरफ जंहा फेक न्यूज लोगों को बीच गलत और अपुष्ट जानकारी का संचार कर रहा हैं वहीं दूसरी तरफ सेक्स एवं हिंसा जैसे कान्टेन्ट लोगों खासकर युवाओं का दिगभ्रमित भी कर रहा है। एक तरफ जंहा सरकार एवं अन्य मिडीया संस्थानें फेक न्यूज से लोगों को लगातार अवगत करा रही है वही सरकार भी डिजीटल माध्यमों को विभिन्न कानूनों के तहत नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। ये नियंत्रण सूचना के प्रसार के लिए नहीं बल्कि गलत सूचना के प्रसार एवं सेक्स और हिंसात्मक कन्टेन्ट को रोकने का प्रयास है। इसके साथ ही आज जंहा मोबाइल और इंटरनेट गांव-गांव तक पंहुच चुका है हमें भी लोगों में डिजीटल साक्षरता के लिए प्रयास करना होगा। ताकि हर एक व्यक्ति जो डिजीटल संसाधनों का उपयोग कर रहा है उसे भी सही गलत की समझ होनी चाहिए।

बात जहा तक वर्तमान दौर के मीडिया छात्र-छात्राओं की है तो एक नैतिक आधार, डिजिटल युग में उचित संचार की गारंटी देता है, और स्नातकों को इस बदलते मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र में अनुकूलनीय रहना चाहिए। इसके लिए जहा आज शिक्षण संस्थानों को प्रायोगिक तरीके को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत है वहीं इंर्टनशिप जैसे माध्यमों से इन छात्र-छात्राओं को इंडस्टो के विभिन्न पहलूओं से भी रूबरू होने का भी मौका प्रदान करना चाहिए। संभावनाएं असीम है लेकिन हमें समाज और देश के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को भी समझने की जरूरत है।

अंततः जनसंचार में स्नातक इस गतिशील क्षेत्र में कई व्यवसायों में अपना भविष्य बना सकते हैं। भारत में जनसंचार उद्योग फलफूल रहा है। जिन छात्र-छात्राओं ने पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिग्री हासिल की है, उनके लिए भारत के तेजी से बढते मीडिया और मनोरंजन का क्षेत्र एक बेहतर भविष्य और अवसर मुहैया करा रहा है।

राजीव सिंह

वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद
लक्ष्मणगढ़ - (सीकर)

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