विपक्ष को भारी पड़ेगा 'मोदी का परिवार' अभियान

विपक्ष को भारी पड़ेगा 'मोदी का परिवार' अभियान

आशीष वशिष्ठ

20 सितंबर 2018 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान में आदिवासी जिले डूंगरपुर के सागवाड़ा में एक जनसभा में एक कहावत का उपयोग करते हुए राफेल मामले में प्रधानमंत्री पर अमर्यादित टिप्पणी की। इस दौरान उन्होंने पीएम पद की गरिमा का खयाल भी नहीं रखा। राहुल गांधी की चौकीदार चोर की टिप्पणी के बाद पूरे देश में इस शब्द को लेकर ही आंदोलन शुरू हो गया था। भाजपा के तमाम नेताओं ने अपने नाम के आगे ‘मैं भी चौकीदार’ जैसे शब्द लिखने शुरू कर दिए थे। बाद में, अपने इस बयान को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी।

3 मार्च 2024 को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जन विश्वास महारैली में इंडी अलांयस की रैली में बोलते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पीएम मोदी के परिवारवाद वाली टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा था कि उनकी कोई संतान नहीं है। वो पत्नी के साथ नहीं रहते। कैसे जानेंगे कि परिवार क्या होता है? लालू प्रसाद की आपत्तिजनक टिप्पणी के अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के अदिलाबाद में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने विपक्ष की ओर से उनके परिवार को लेकर किए गए हमले का परोक्ष रूप से जवाब दिया। पीएम ने कहा, ‘मैं इनके परिवारवाद पर सवाल उठाता हूं, तो इन लोगों ने अब बोलना शुरू कर दिया है कि मोदी का कोई परिवार नहीं है। मैं इनसे कहना चाहता हूं कि 140 करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं। जिनका कोई नहीं है, वो भी मोदी के हैं और मोदी उनका है। मेरा भारत ही मेरा परिवार है।’

पीएम मोदी की ओर से पूरे देश को अपना परिवार बताए जाने के कुछ देर बाद ही भाजपा ने नए अभियान की शुरुआत कर दी। अभियान का नाम दिया गया ‘मोदी का परिवार।’ फिर क्या था बीजेपी के तमाम आला नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना बॉयो बदल दिए। वास्तव में, लालू के हमले को ही मोदी ने हथियार बनाते हुए अपने चुनावी अभियान में शामिल कर लिया। साल 2019 में भी पीएम मोदी ने विपक्ष के हमले से ही एक ऐसा हथियार निकाला और इस तरह अभियान चलाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस की सारी कोशिशें ध्वस्त हो गई थीं और भारतीय जनता पार्टी 2014 की तुलना में बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापसी की थी।

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने एक्स पर अपने बॉयो में ‘मैं भी चौकीदार’ लिखकर इस अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान तेजी से वायरल हो गया और बड़ी संख्या में बीजेपी के छोटे-बड़े नेताओं ने अपनी बॉयो में ‘मैं भी चौकीदार’ लिखना शुरू कर दिया। गली-गली पोस्टर लग गए। सिर पर टोपी आई जिस पर लिखा था- मैं भी चौकीदार। हर बड़ी हस्ती खुद को चौकीदार बताने लगी थी। चायवाला बनकर अगर पीएम रिक्शा, रेहड़ी-पटरी वाले तबके से जुड़ते हैं तो ‘मैं भी चौकीदार’ से उन्होंने एक बड़े तबके को खुद से जोड़ने की कोशिश की। वो प्रयोग सफल रहा। यह अभियान चुनाव खत्म होने तक जारी रहा। 2019 में जहां मैं भी चौकीदार नारा चर्चा में आया था तो वहीं अबकी बार मोदी का परिवार सुर्खियों में है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस बार विपक्ष ने फिर से वही गलती कर दी है।

2014 के चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी पर एक और हमला किया था। अय्यर ने कहा था कि वो चायवाला क्या प्रधानमंत्री बनेगा। इस बयान पर भाजपा कांग्रेस पर लगातार हमलावर रही थी। पीएम ने अय्यर की टिप्पणी पर जवाब अपने ही अंदाज में दिया था। मोदी ने चुनावी कैंपेन के दौरान खुद को चायवाला बताकर कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए थे। इस बयान को मुद्दा बनाया गया था और चाय पर चर्चा कार्यक्रम रखे गए थे। उस वक्त भी इसी तरह बीजेपी ने उनके इस बयान को लपका था। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उस वक्त ना सिर्फ तालकटोरा स्टेडियम के बाहर चाय बेची थी बल्कि बीजेपी की लोकसभा चुनाव की पूरी रणनीति ही ‘चाय’ पर केंद्रित हो गई थी।

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई थी। भाजपा ने 2014 में 282 सीटें जीती थी। वहीं 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने अकेले तीन सौ के आंकड़े को पार किया और 303 सीटों पर जीत का परचम लहराने में सफल रही। अन्य सहयोगी पार्टियों के साथ ने इस जीत को और प्रचंड बना दिया। एनडीए ने लोकसभा की कुल 353 सीटों पर कब्जा किया, वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाला यूपीए 92 सीटों पर सिमट कर रह गया। कांग्रेस के अकेले प्रदर्शन की बात करें तो काफी खींचतान के बाद पार्टी को महज 52 सीटों पर सफलता मिली। भाजपा की इस बड़ी जीत के बाद भारतीय राजनीति में विपक्ष के सामने एक बार फिर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया था। 2014 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस महज 44 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी और उस बार भी सदन को विपक्ष का नेता नहीं मिल पाया था।

देश के राजनीतिक इतिहास के पन्ने पलटें तो पीएम मोदी पर लगातार कांग्रेस और विपक्ष अभद्र टिप्पणी और निजी हमले करते रहे हैं। विपक्ष लगातार हमले करते रहा और पीएम मोदी सहजता से उन हमलों और टिप्पणियों को अपना हथियार बनाते रहे। इस बार भी कुछ वैसा ही देखने को मिल रहा है। विपक्ष ने बैठे बिठाए भाजपा को मुद्दा थमा दिया है। भाजपा को ‘मोदी का परिवार’ अभियान विपक्ष को भारी पड़ने वाला है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)