सहमति से लिवइन में रहकर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं!
By Loktej
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आपसी सहमति से लिवइन में रहकर संबंध स्थापित करने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता, शादी का झूठा वादा किया हो तभी हो सकती है शिकायत
लिवइन से जुड़े एक केस की सुनवाई करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इसके तहत यदि महिला को शुरुआत से ही शादी का वादा दिया हो और संबंध स्थापित किए हो तभी महिला द्वारा दुष्कर्म की शिकायत की जा सकेगी। यदि शादी का वादा किए बिना युवती किसी युवक के साथ लिवइन में रहकर शारीरिक संबंध बनाए हो तो ऐसे में दुष्कर्म की शिकायत नहीं की जा सकेगी।
डेढ़ साल तक रहे थे लिवइन में
न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने उत्तरप्रदेश के मथुरा से जुड़े हुये एक केस में यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। आरोपी सोनू की FIR रद्द करने की मांग को ध्यान में देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था। विस्तृत जानकारी के अनुसार, आरोपी सोनू और पीड़िता दोनों लिवइन में रहते थे। दोनों करीब डेढ़ साल तक लिवइन में रहे थे। इस दौरान दोनों ने कई बार आपसी सहमति से संबंध भी स्थापित किए थे।
शादी करने से मना किया तो युवती ने की शिकायत दर्ज
बाद में सोनू ने पीड़िता से शादी करने से मना कर दिया था। इसके चलते पीड़िता ने सोनू पर दुष्कर्म की फरियाद भी दर्ज करवाई थी। जिसे सोनू ने रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा की पुलिस की FIR और चार्जशीट पढ़ने से स्पष्ट मालूम होता है की आरोपी और पीड़िता दोनों आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ रहते थे। दोनों का शादी करने का कोई इरादा हो ऐसा कही स्पष्ट नहीं होता और ना ही कही पर यह स्पष्ट होता है की आरोपी ने पीड़िता को शादी करने का वचन दिया हो। ऐसे में कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म FIR रद्द करने का आदेश दिया था।
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