कर्नाटक: बहादुरी की मिसाल पेश करती रिक्शा चालक सुनीता, अब से चलाएगी ऑटोरिक्शा एम्बुलेंस
By Loktej
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बीते 9 साल से रिक्शा चला रही सुनीता हैं एकमात्र महिला ऑटोरिक्शा एम्बुलेंस चालक, मेयर की तारीफ
कर्नाटक के कोच्चि शहर में ऑटोरिक्शा एम्बुलेंस के लिए कुल 18 स्वयंसेवकों का चयन किया गया है जिनमे सुनीता एकमात्र महिला चालक हैं। अपने चयन पर सुनीता बहुत खुश हैं और खुद को दुसरे के काम आने पर किस्मत वाला मानती हैं। आपको बता दें कि ऑटोरिक्शा एम्बुलेंस एक ऐसी सुविधा हैं जिसमें ऑटोरिक्शा को एम्बुलेंस में बदला गया हैं और इसमें मरीजों के लिए चिकित्सा देखभाल से जुड़े सभी उपकरण और ऑक्सीजन की सुविधा मौजूद रहती है।
एकमात्र महिला चालक के रूप में चयनित सुनीता ने महज 12 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया। इसके बाद घर चलाने के लिए कुछ न कुछ करना था इसलिए 2005 में सुनीता ने अपना ड्राइवर लाइसेंस बनवाया और फिर एक ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया। कड़ी मेहनत के बाद साल 2012 में सुनीता ने अपना खुद का रिक्शा खरीद लिया और अब बीते 9 साल से रिक्शा चला रही है।
आपको बता दें कि वर्तमान में सुनीता सहित 18 अन्य स्वयंसेवक जरुरी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें कोरोना मरीज को प्राथमिक उपचार देने की जानकारी भी है। सुनीता की प्रतिबद्धता को देखते हुए मेयर एम अनिल कुमार ने उनकी प्रशंसा की और लोगों को सुनीता से सीखने की सलाह देते हुए कहा कि हमें उनके जैसा ही बहादुर बनना चाहिए।
वहीं खुद सुनीता अपने काम से बहुत खुश हैं। शहर भर में 100 अन्य ड्राइवरों के साथ रिक्शा चलाने वाली सुनीताकहती हैं कि दूसरा ड्राइवर उनके साथ एक महिला नहीं बल्कि एक सहकर्मी की तरह व्यवहार करते हैं। यही कारण हैं कि मैंवो रात में भी अपना काम जारी रख सकती हैं।
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