इस गाँव के सभी बुजुर्ग सुबह-शाम साथ खाते है खाना, जानें क्या है कारण
By Loktej
On
1000 की जनसंख्या वाले गाँव में रहते है मात्र 50-60 बुजुर्ग, अधिकतर युवा धन गाँव से बाहर शहर में करते है काम
आज के जमाने में जहां एक और संयुक्त परिवार कम हो रहे है। लोगों में एक साथ रहने की भावना ही खतम होते जा रही है। ऐसे में महेसाणा का एक गाँव आपसी भाईचारे और विश्व बंधुत्व का एक उत्तम उदाहरण सब के सामने प्रस्तुत कर रहा है। महेसाणा के बहुचराजी के गांव में सारे बुजुर्ग आज भी एक साथ ही खाना खाते है। जी हाँ हम बात कर रहे है पूरे गांव की, गाँव के सभी बुजुर्ग आज भी एक साथ एक ही रसोई में खाना खाते है। इस गाँव की अन्य एक विशेषता यह है की गाँव में आजादी के बाद से आज तक एक बार भी स्थानीय सरपंच के चुनाव नहीं हुए है।
बहुचराजी के चाँदनकी गाँव के अधिकतर युवा अहमदाबाद, सूरत, नवसारी जैसे बड़े शहरों में या तो विदेश में रहते है। युवा तो अपने काम धंधे के साथ शहर के रंग में रंग गए। पर उनके माता-पिता शहर में अपना अनुकूलन नहीं बना पाये। इसलिए अधिकतर बुजुर्ग अभी भी गांव में ही रहता है। यहाँ रहने वाले अधिकतर लोग 55-60 साल से अधिक उम्र के है। ऐसे में इस उम्र में उन्हें खाना बनाने की दिक्कत ना हो इसलिए देश-विदेश में रहने वाले सभी संतानों ने मिलकर यह व्यवस्था की। संतानों द्वारा की गई इस व्यवस्था से उनके माता-पिता भी काफी खुश है।
गाँव के स्थानीय शांतिभाई पटेल के अनुसार, गाँव के अधिकतर परिवार नौकरी के काम से बाहर ही रहते है। साल में मात्र एक या दो दिन के लिए ही वह गाँव में आते है। शांतिभाई ने बताया कि सभी के संतानों ने मिलकर यह व्यवस्था की है। सुबह आठ बजे उन्हें फोन आ जाता है और जब 11 बजे वह पहुँचते है तो सभी के लिए खाना तैयार होता है। अन्य एक स्थानिक बलवंद भाई के अननुसर, ठीक 11 बजे सभी बुजुर्ग घर का दरवाजा बंद कर के स्कूल की तरफ आना शुरू कर देते है। जहां उनके लिए समूह भोजन का आयोजन होता है। इस गांव की जनसंख्या तो 1000 की है, पर यहाँ मुश्किल से 40 से 50 बुजुर्ग रहते है। उनका कहना है कि हर दिन उन्हें उनका मनपसंद खाना मिलता है। एक साथ मिलकर लोग भोजन का आनंद लेते है और एक दूसरे के सुख दुख की बाते सुनते है।
बता दे की गांव का साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। गाँव के 900 से अधिक लोग अन्य स्थानों पर ही काम करते है। जिसमें से 90 तो अमेरिका में रहते है। गाँव में सुबह बुजुर्गों के लिए दाल, भात, रोटी, सब्जी और शाम को सब्जी, रोटी, खिचड़ी और दूध दिया जाता है। जो की अधिकतर लोगों को पसंद आता है। इसके अलावा यदि कभी किसी को कुछ और खाना हुआ तो वह भी बनाया जाता है।