सूरत : अदाणी फाउंडेशन ने राष्ट्रीय पोषण माह नर्मदा में उत्साहपूर्वक मनाया
'कुपोषण मुक्त नर्मदा' के नाम से पोषण अभियान
फॉर्च्यून सुपोषण द्वारा सुपोषित भारत, साक्षर भारत और सशक्त समाज थीम के साथ नर्मदा जिले में राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए अदाणी फाउंडेशन और आईसीडीएस का संयुक्त प्रयास ने बदलाव की पहल की गयी है। इस वर्ष 215 संगिनियां कुपोषण मुक्त नर्मदा के नाम से जिले के 562 गांवों, 952 आंगनबाड़ियों में पोषण अभियान चला रही हैं। जिसमें ग्राम स्तर पर बैठकें, मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, प्रदर्शन एवं पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जाती है।
नर्मदा जिले में कुपोषण की रोकथाम के लिए आईसीडीएस विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विभाग की नर्सें, आशा कार्यकर्ता और अदानी फाउंडेशन टीम के संयुक्त प्रयास किए गए हैं। पोषण माह के दौरान विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को बाल सेवा केंद्रों की पहचान, जांच, टीएचआर का उपयोग करने और बाल सेवा केंद्रों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
समुदाय में सतत परिवर्तन के लिए सार्वजनिक भागीदारी आवश्यक है। पोषण अभियान में पहले 12 दिनों में 16,565 लोगों को कवर किया है। सरकार के आईसीडीएस विभाग द्वारा टीएचआर प्रदान किया जाता है। जिसके माध्यम से पौष्टिक व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में भोजन में विविधता कम होती है और भोजन के समय में अंतराल अधिक होता है।
परिणामस्वरूप माँ और बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते। संगीनी बहनें स्नेह शिविर में बालशक्ति से 14 दिनों तक अलग-अलग व्यंजन बनाकर बच्चों का पोषण करती हैं। व्यंजनों में सामग्री के लिए अदाणी फाउंडेशन द्वारा किट भी उपलब्ध कराई जाती है।
पोषण माह के दौरान संचालित कार्यक्रमों में जनभागीदारी बढ़ाने के लिए समाज के मुखिया, विभिन्न क्षेत्रों की मोभियाँ एवं महिलाएँ सक्रिय रूप से शामिल हैं। विभिन्न नाटकों और प्रस्तुतियों के माध्यम से महिलाओं को ममता दिवस इसका लाभ लेने की भी अनुशंसा की जाती है।स्वीकृत 10 चरणों के कार्यान्वयन में घर-घर जाना, समूह चर्चा, किशोर लड़कियों के साथ बातचीत, गर्भवती महिलाओं को मार्गदर्शन और प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल पर विस्तृत जानकारी शामिल होनी चाहिए।
अदाणी फाउंडेशन की शीतल पटेल कहती हैं, “कुपोषण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए समुदाय को संवेदनशील बनाने और जीवन चक्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। नर्मदा में सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ जनभागीदारी से भी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। एक निजी शोध संगठन लोटालिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हाल ही में किए गए मूल्यांकन में फॉर्च्यून न्यूट्रिशन प्रोजेक्ट के प्रयासों और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के प्रभावशाली प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।