आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का बड़ा कमाल, दिल की धड़कन को बरकरार रखने वाला डिवाइस किया तैयार

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का बड़ा कमाल, दिल की धड़कन को बरकरार रखने वाला डिवाइस किया तैयार

वैज्ञानिक मनदीप ने कहा, पहले इसका परीक्षण जानवरों पर, फिर इंसानों पर, परीक्षण सफल होने पर हैं 2025 तक मिल जाएगा यंत्र

इंसानी शरीर में दिल और दिमाग दो सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। कहते हैं अगर दिल की धड़कन रूक जाए, तो इंसान की मौत हो जाती है। दुनिया भर में हर साल होने वाली कुल मौतों में से 32 फीसदी के पीछे हृदय रोग ही मुख्य कारण होता है। इससे यह असमय मौत का सबसे आम कारण बन जाता है। इसका एक समाधान बीमार दिल को कृत्रिम हृदय या लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस से बदलना है, लेकिन इसमें होने वाला खर्च आम लोगों की पहुंच से इसे बाहर कर देता है।

इन सबके बीच आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। वैज्ञानिक मनदीप ने ऐसा हृदय तंत्र विकसित किया है जो इंसान के शरीर में दिल की धड़कन को बरकरार रखेगा। अगर किसी इंसान का हार्ट खराब हो गया हो तो उसकी जगह इस यंत्र को लगाकर काम चलाया जा सकता है। आईआईटी के शोधकर्ता मनदीप और उनकी टीम ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो मानव शरीर में दिल की तरह काम करेगी।

कई सालों की मेहनत का परिणाम

आपको बता दें कि जब किसी का हृदय फेल हो जाता है तो यह यंत्र हृदय की धड़कन को जीवित रखने का काम करेगा और इसीलिए इसे हृदय यंत्र भी कहा जाता है। कई सालों की मेहनत के बाद इसे विकसित किया गया है। इस हृदय तंत्र को विकसित करने में देश के चुनिंदा कार्डिक डॉक्टरों और कई अन्य आईआईटी के वैज्ञानिकों ने मनदीप की मदद की। इस यंत्र को बनाने में 10 लाख रुपए का खर्च आया है।

2025 तक मिल सकता है हृदय तंत्र

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक मनदीप ने इस बारे में मीडिया को बताया कि हम पहले इसका परीक्षण जानवरों पर करेंगे, फिर इंसानों पर इसका परीक्षण किया जाएगा और अगर ये परीक्षण सफल होते हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि 2025 तक यह मशीन लोगों के दिलों की धड़कनें तेज करने के लिए तैयार हो जाएगी।

दुनिया का सबसे सस्ता होगा हृदय यंत्र

भारत के वैज्ञानिक मनदीप ने जो हृदय तंत्र विकसित किया है, वो दुनिया का सबसे सस्ता हृदय तंत्र होगा। इससे पहले अमेरिका की दो कंपनियां हृदय तंत्र बनाती हैं। लेकिन उसकी कीमत डेढ़ करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में मध्यवर्गीय लोग इस यंत्र को लगाने की सोच भी नहीं सकते हैं।