सूरत: सौतेली माँ की भरण-पोषण याचिका अदालत ने खारिज की

प्राकृतिक पुत्र के जीवित होने पर सौतेले बेटों से भरण-पोषण का अधिकार नहीं : सूरत परिवार न्यायालय

सूरत: सौतेली माँ की भरण-पोषण याचिका अदालत ने खारिज की

सूरत : सूरत परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एम. एन. मंसूरी ने 63 वर्षीय ज्योत्सनाबेन जरीवाला  (बदला हुआ नाम) द्वारा सौतेले बेटों के खिलाफ दायर भरण-पोषण याचिका को खारिज करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब याचिकाकर्ता की अपनी प्राकृतिक संतान जीवित है, तब सौतेले बच्चों से भरण-पोषण की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, भटार सूरत निवासी ज्योत्सनाबेन जरीवाला ने वर्ष 2018 में किशोरभाई जरीवाला से दूसरी शादी की थी। किशोरभाई की भी यह दूसरी शादी थी और उनके पहली शादी से दो पुत्र  तेजस और राजेश जरीवाला  हैं। किशोरभाई का वर्ष 2023 में बीमारी के कारण निधन हो गया था।

ज्योत्सनाबेन की पहली शादी वलसाड निवासी हिम्मतभाई से हुई थी, जिनसे उन्हें एक बेटा प्रताप है। प्रताप वर्तमान में अपनी पत्नी के साथ वलसाड में रहते हैं। पहली शादी के तलाक के बाद ज्योत्सनाबेन को स्थायी भरण-पोषण के रूप में 8.5 लाख रुपये भी प्राप्त हुए थे।

पति के निधन के बाद, ज्योत्सनाबेन ने सौतेले पुत्रों तेजस और राजेश से भरण-पोषण की मांग करते हुए सूरत परिवार न्यायालय में याचिका दायर की थी। सौतेले पुत्रों का आरोप था कि वे सौतेली माँ की देखभाल कर रहे थे, बावजूद इसके ज्योत्सनाबेन महंगी वस्तुएं और अधिक धनराशि की मांग कर उन्हें परेशान कर रही थीं।

सौतेले बेटों की ओर से अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने कोर्ट में प्रारंभिक आपत्ति दाखिल कर दलील दी कि चूंकि याचिकाकर्ता की अपनी संतान जीवित है, अतः कानूनन सौतेले बेटों से भरण-पोषण की मांग करने का कोई अधिकार नहीं बनता।

अदालत ने प्रस्तुत साक्ष्यों, तर्कों और प्रासंगिक उच्च न्यायालय के निर्णयों को ध्यान में रखते हुए ज्योत्सनाबेन की भरण-पोषण याचिका को खारिज कर दिया।

मामले में अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने सौतेले बेटों की ओर से प्रभावी पैरवी की।

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