ट्रंप के फरमान अमेरिका को बना रहे वीरान, 5.32 लाख हुए बेघर?
वाशिंगटन, 23 मार्च (वेब वार्ता)। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा फैसले में अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने कहा है कि वह क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला के लाखों लोगों से कानूनी सुरक्षा छीन लेगा। इससे करीब 5,32,000 लोग प्रभावित होंगे और उन्हें एक महीने में देश छोड़ना पड़ सकता है।
यह फैसला उन लोगों पर लागू होगा जो अक्टूबर 2022 के बाद अमेरिका आए थे। ये लोग वित्तीय सहायकों के साथ आए थे और उन्हें अमेरिका में दो साल तक रहने और काम करने की अनुमति मिली थी। होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि इन लोगों का कानूनी दर्जा 24 अप्रैल को खत्म हो जाएगा। या फिर फेडरल रजिस्टर में यह नोटिस छपने के 30 दिन बाद इनको देश छोड़ना पड़ेगा।
यह नई नीति उन लोगों पर असर डालेगी जो पहले से अमेरिका में हैं और ह्यूमैनिटेरियन पैरोल प्रोग्राम के तहत आए थे। यह प्रोग्राम पहले ट्रंप प्रशासन ने खत्म किया था, क्योंकि उनका मानना था कि इसका ‘गलत इस्तेमाल’ हो रहा था। यह कानूनी तरीका लंबे समय से उन लोगों को अस्थायी रूप से अमेरिका में रहने की इजाजत देता था, जिनके देशों में युद्ध या राजनीतिक अस्थिरता थी।
अपने चुनाव अभियान में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वादा किया था कि वह अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे लाखों लोगों को देश से निकालेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने आप्रवासियों के लिए कानूनी रास्ते भी बंद करने शुरू कर दिए हैं। इस नए आदेश से पहले, इस प्रोग्राम के लाभार्थी अपने पैरोल की अवधि तक अमेरिका में रह सकते थे। लेकिन प्रशासन ने उनके शरण, वीजा या अन्य अनुरोधों को प्रोसेस करना बंद कर दिया था, जिससे वे लंबे समय तक रह सकें।
इस फैसले को पहले ही संघीय अदालतों में चुनौती दी जा चुकी है। कुछ अमेरिकी नागरिकों और आप्रवासियों के समूह ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। वे ह्यूमैनिटेरियन पैरोल को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं। बाइडन प्रशासन ने इन चार देशों से हर महीने 30,000 लोगों को दो साल के लिए अमेरिका आने की अनुमति दी थी, साथ में काम करने का अधिकार भी दिया था।
उसने मेक्सिको को भी इन देशों से इतने ही लोगों को वापस लेने के लिए मनाया था, क्योंकि अमेरिका इन्हें उनके देशों में वापस नहीं भेज सकता था। क्यूबा हर महीने लगभग एक डिपोर्टेशन फ्लाइट स्वीकार करता था, जबकि वेनेजुएला और निकारागुआ ने किसी को भी वापस लेने से इनकार कर दिया। ये तीनों देश अमेरिका के विरोधी हैं।