गुजरात विधानसभा में छात्राओं को वितरित नहीं की जा सकीं 1.45 लाख साइकिल को लेकर तीखी बहस

गुजरात विधानसभा में छात्राओं को वितरित नहीं की जा सकीं 1.45 लाख साइकिल को लेकर तीखी बहस

गांधीनगर, 27 फरवरी (भाषा) गुजरात सरकार द्वारा यह कहे जाने पर कि पिछले दो वर्षों में छात्राओं को लगभग 1.45 लाख साइकिल वितरित नहीं की जा सकीं, बृहस्पतिवार को विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच तीखी बहस हुई।

सरकार ने कहा कि बारिश के कारण कई साइकिल में जंग लग गई और उन्हें ठीक करने में समय लगा, जबकि कांग्रेस ने इसके लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि देरी के कारण लाखों लड़कियों को पैदल ही स्कूल जाना पड़ता है।

सरस्वती साधना योजना से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते हुए राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने सदन को बताया कि दिसंबर 2024 तक कैलेंडर वर्ष 2023 और 2024 के लिए लगभग 1.45 लाख साइकिल लड़कियों को सौंपी जानी बाकी हैं।

साइकिल वितरण के लिए जिम्मेदार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अपने लिखित जवाब में बताया कि जनवरी 2023 से जनवरी 2024 के बीच एक भी साइकिल वितरित नहीं की गई तथा जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच केवल 8,494 साइकिल सौंपी गईं।

सरस्वती साधना योजना के तहत, राज्य सरकार अनुसूचित वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग की लड़कियों को सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौ में प्रवेश लेने पर साइकिल प्रदान करती है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री की ओर से संघवी ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों में छात्राओं को 7.93 लाख से अधिक साइकिलें वितरित की हैं।

उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि कई साइकिल वितरित नहीं की जा सकीं क्योंकि उनमें “अत्यधिक बारिश” के कारण जंग लग गया था।

संघवी ने कहा, “अत्यधिक बारिश के कारण, कई साइकिल में थोड़ा जंग लग गया था। ऐसी जंग लगी साइकिल देने के बजाय, हमने विक्रेता से कहा कि वे विद्यार्थियों को सौंपने से पहले उन्हें ठीक कर दें। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ समय लगा।”

वरिष्ठ कांग्रेस विधायक शैलेश परमार ने कहा कि साइकिलों में जंग लग गई, क्योंकि उन्हें समय पर छात्राओं को वितरित नहीं किया गया।

सरकार का बचाव करते हुए संघवी ने कहा कि साइकिल के तकनीकी और भौतिक निरीक्षण में भी समय लगा और इसके परिणामस्वरूप देरी हुई।

कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित चावडा ने कहा कि लाखों लड़कियों को पैदल स्कूल आने-जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार वादे के मुताबिक उन्हें साइकिलें उपलब्ध कराने में विफल रही।

उन्होंने आरोप लगाया कि घटिया साइकिलों की खरीद और आपूर्ति में भ्रष्टाचार के कारण उनमें जंग लग गया और वितरण में देरी हुई। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर के नियमों में बदलाव किया गया।

 

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