आर्थिक गतिविधियों में आ रही तेजी, महत्वपूर्ण आंकड़े दे रहे हैं संकेत: आरबीआई बुलेटिन
मुंबई, 19 फरवरी (भाषा) देश में चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत हैं और इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। वाहन बिक्री, हवाई यातायात, इस्पात खपत और जीएसटी ई-वे बिल जैसे आंकड़ें इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुधवार को जारी बुलेटिन में यह कहा गया है।
आरबीआई के फरवरी बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती और व्यापार नीति से डॉलर मजबूत हो रहा है। इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी की निकासी बढ़ सकती है और बाह्य मोर्चे पर स्थिति नाजुक हो सकती है।
इसमें कहा गया है कि इन सबके बीच आर्थिक गतिविधियों की गति बरकरार रहने की उम्मीद है। कृषि क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन से ग्रामीण मांग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित आयकर राहत के बीच मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ खर्च योग्य आय में वृद्धि को देखते हुए, शहरी मांग में भी सुधार की उम्मीद है।
लेख में कहा गया, “…चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही के उच्च आवृत्ति संकेतक (वाहन की बिक्री, हवाई यातायात, इस्पात खपत आदि) आर्थिक गतिविधियों में छमाही आधार पर वृद्धि का संकेत दे रहे हैं और इसके आगे भी जारी रहने की संभावना है।’’
आर्थिक गतिविधि सूचकांक (ईएआई) का निर्माण ‘डायनामिक फैक्टर मॉडल’ का उपयोग करके आर्थिक गतिविधियों के 27 उच्च आवृत्ति संकेतकों से सामान्य रुख को निकालकर किया जाता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रहे राजनीतिक और तकनीकी परिदृश्य के बीच विभिन्न देशों में अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ स्थिर लेकिन मध्यम गति से बढ़ रही है।
लेख में लिखा गया है कि महंगाई में कमी की धीमी गति और शुल्क दर के संभावित प्रभाव के कारण वित्तीय बाजार में चिंता की स्थिति है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली का दबाव और मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट देखी जा रही है।
इसके अनुसार, ‘‘विकास के चार इंजन... कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात... को बढ़ावा देने को लेकर बजट में किये गये उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।’’
लेख में कहा गया, ‘‘केंद्रीय बजट में राजकोषीय मजबूती और वृद्धि लक्ष्यों के बीच सूझबूझ के साथ संतुलन बनाया गया है। इसमें एक तरफ जहां पूंजीगत व्यय पर जोर है, वहीं दूसरी तरफ खपत को बढ़ावा देने के साथ कर्ज में कमी लाने को लेकर खाका भी है।’’
इसके अलावा, सात फरवरी, 2025 को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर में कटौती से भी घरेलू मांग को गति मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय बैंक ने साफ कहा है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।