विशेषज्ञ नए आयकर विधेयक में चुनावी बॉन्ड को शामिल करने से हैरान

विशेषज्ञ नए आयकर विधेयक में चुनावी बॉन्ड को शामिल करने से हैरान

नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) विशेषज्ञ नए आयकर विधेयक, 2025 में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों को बरकरार रखने से हैरान हैं। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था।

विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसा विधायी चूक या सरकार की इसे किसी अन्य रूप में वापस लाने की मंशा के कारण हो सकता है।

चुनावी बॉन्ड का उल्लेख नए आयकर विधेयक की अनुसूची आठ में किया गया है, जो 'राजनीतिक दलों और चुनावी ट्रस्टों की कुल आय में शामिल नहीं की गई आय' से संबंधित है।

न्यायालय ने पिछले साल 15 फरवरी को पारित एक फैसले में केंद्र की गोपनीय राजनीतिक चंदे की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था।

सरकार ने 64 साल पुराने आयकर अधिनियम की जगह नया आयकर विधेयक पेश किया है। कुल 622 पन्नों का यह विधेयक मौजूदा कानून को सरल ढंग से पेश करता है। मौजूदा कानून कुछ वर्षों में 4,000 से अधिक संशोधनों के कारण जटिल हो गया है।

नए आयकर विधेयक में चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रावधानों के बारे में एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि नए आयकर विधेयक में चुनावी बॉन्ड के प्रावधानों का उल्लेख विधायी चूक के कारण हो सकता है या भविष्य में योजना के संशोधित संस्करण के लिए दरवाजा खुला रखने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, उच्चतम न्यायालय के पास इस योजना को रद्द करने के लिए मजबूत और उचित आधार थे, लेकिन इसमें जिन चिंताओं का जिक्र किया गया है, उनका समाधान संवाद और विशेषज्ञों के साथ परामर्श से किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब भी राजनीतिक चंदे की संशोधित व्यवस्था को फिर से पेश करने का विधायी अधिकार है, बशर्ते कि यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप हो और चुनावी चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

मोहन ने कहा कि यह संभव है कि भविष्य में चुनावी चंदे की व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बनाए रखने के लिए एक रणनीतिक फैसले के तहत नए विधेयक में चुनावी बॉन्ड का उल्लेख किया गया हो।

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के भागीदार रोहित गर्ग ने कहा कि नए आयकर विधेयक में किए गए बदलाव केवल संरचनात्मक प्रकृति के हैं। मूल प्रावधानों और शुल्क लगाने वाले अनुभागों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। हर प्रावधान जो चलन में नहीं था, उसे नए अधिनियम में आगे बढ़ाया गया है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 2018 में योजना की शुरुआत के बाद से 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं।