नेतृत्व के पाठ से लेकर परीक्षा बनाम ज्ञान: प्रधानमंत्री की ‘कक्षा’ में छात्रों को मिले खास मंत्र

नेतृत्व के पाठ से लेकर परीक्षा बनाम ज्ञान: प्रधानमंत्री की ‘कक्षा’ में छात्रों को मिले खास मंत्र

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को प्रसारित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के आठवें संस्करण में नेतृत्व के पाठ से लेकर ध्यान, परीक्षा बनाम ज्ञान से लेकर एक बल्लेबाज की तरह ध्यान केंद्रित करने तक, कई विषयों पर छात्रों के साथ बात की।

पारंपरिक ‘टाउन हॉल’ प्रारूप से हटकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार अधिक अनौपचारिक व्यवस्था को प्राथमिकता दी और लगभग 35 छात्रों से यहां सुंदर नर्सरी में अधिक गहन एवं मुक्त बातचीत की।

‘परीक्षा पे चर्चा’ के आठवें संस्करण का राष्ट्रव्यापी प्रसारण देश के विभिन्न हिस्सों से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने देखा। यह कार्यक्रम अमेजन प्राइम पर भी प्रसारित किया गया।

मोदी ने छात्रों से कहा कि ‘ज्ञान’ और परीक्षा दो अलग अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी परीक्षा को जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं समझना चाहिए।

विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए छात्रों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को किसी दायरे में बांधा नहीं जाना चाहिए और उन्हें अपनी अभिलाषा को तलाशने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने छात्रों से अपने समय का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से करने को कहा ताकि इसका प्रभावी प्रबंधन हो सके।

प्रधानमंत्री ने छात्रों से ‘अपने समय, अपने जीवन पर नियंत्रण रखने, वर्तमान में जीने, सकारात्मकता की तलाश करने और पोषण’ जैसे मुद्दों पर बात की।

माता-पिता से अपने बच्चों को दिखावे के लिए मॉडल के रूप में इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चों की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए बल्कि उनका समर्थन करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से यह आम धारणा है कि अगर कोई 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक नहीं लाता है, तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है। समाज की वजह से कम अंकों के कारण घर में तनावपूर्ण माहौल बन जाता है। आप भी दबाव में हो सकते हैं, लेकिन इसकी चिंता किए बिना तैयारी करें और खुद को चुनौती देते रहें।’’

मोदी ने कहा, ‘‘छात्र रोबोट नहीं हैं...शिक्षा केवल अगली कक्षा में आगे बढ़ने के लिए नहीं बल्कि समग्र व्यक्तिगत विकास के लिए है।’’

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे बागवानी जैसी प्रारंभिक स्कूली शिक्षाएं एक समय अप्रासंगिक लगती हैं, लेकिन वे समग्र विकास में योगदान देती हैं।

मोदी ने सभी छात्रों को तिल के लड्डू दिए और उनके साथ पोषण के महत्व पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने अच्छी नींद के महत्व पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर वे अधिक अंक नहीं लाते हैं तो उनका जीवन बेकार हो जाएगा।

मोदी ने कहा कि छात्रों को दबाव को उसी तरह से संभालना चाहिए जैसे बल्लेबाज दर्शकों के शोर के बीच स्टेडियम में करते हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि जैसे बल्लेबाज बाउंड्री की मांग को नजरअंदाज करते हुए अगली गेंद पर ध्यान केंद्रित करते हैं वैसे ही उन्हें अपने अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और परीक्षा के दबाव में नहीं आना चाहिए।

हालांकि, मोदी ने उन्हें खुद को चुनौती देने और हमेशा अपने पिछले परिणामों से बेहतर करने की कोशिश करने को कहा।

नेतृत्व के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि लोग नेताओं के आचरण से प्रेरणा लेते हैं और केवल भाषणों से मदद नहीं मिलती।

उन्होंने कहा, ‘‘नेतृत्व थोपा नहीं जाता, आपके आस-पास के लोग आपको स्वीकार करते हैं। इसके लिए आपको खुद को बदलना होगा। नेता बनने के लिए ‘टीमवर्क’ सीखना बहुत जरूरी है...धैर्य और विश्वास अर्जित करना बहुत जरूरी है।’’

नेता की परिभाषा के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा, ‘‘आज नेता की परिभाषा क्या है, ‘कुर्ता-पायजामा’ पहनने वाला, जैकेट पहनने वाला, विभिन्न मंचों पर भाषण देने वाला...लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर कोई नेता बनता है तो उसका काम दूसरों की गलतियों को सुधारना नहीं है। उसका काम खुद को एक उदाहरण बनाना है।’’

‘क्लास मॉनिटर’ का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अगर सभी को समय पर आना है लेकिन ‘क्लास मॉनिटर’ खुद नियमों का पालन नहीं करेगा, तो क्या कोई उसकी बात सुनेगा? नहीं। लेकिन उदाहरण के लिए, अगर किसी शिक्षक ने आपको होमवर्क दिया है...‘क्लास मॉनिटर’ उसे पहले पूरा करता है और दूसरों की मदद भी करता है, तो वह एक अच्छा नेता है।’’

मोदी ने बच्चों से स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने और तंदुरुस्ती सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग अक्सर उन्हें दी गई सलाह पर सवाल उठाते हैं, यह सोचकर कि ऐसा क्यों कहा गया और क्या यह उनकी किसी खामी को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सोच दूसरों की मदद करने की व्यक्ति की क्षमता में बाधा डालती है। आपको दूसरों में अच्छे गुणों की पहचान करनी चाहिए, जैसे कि अच्छा गाना या साफ-सुथरे कपड़े पहनना। इन सकारात्मक गुणों पर चर्चा करें। यह दृष्टिकोण वास्तविक रुचि दिखाता है और सामंजस्य बनाता है।’’

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने भी इस साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ की विभिन्न कड़ियों में जीवन और सीखने के प्रमुख पहलुओं पर अपना अनुभव और ज्ञान छात्रों के साथ साझा किया।

‘परीक्षा पे चर्चा’ एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें मोदी बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों से बातचीत करते हैं। इस कार्यक्रम के दौरान वह परीक्षा के तनाव और अन्य मुद्दों से संबंधित छात्रों के सवालों के जवाब भी देते हैं।

स्कूल और कॉलेज के छात्रों के साथ प्रधानमंत्री के संवाद कार्यक्रम का पहला संस्करण फरवरी 2018 में तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया था।

इसका सातवां संस्करण प्रगति मैदान के ‘भारत मंडपम’ में ‘टाउन हॉल’ प्रारूप में आयोजित किया गया था, जिसमें समूचे देश और विदेशों से प्रतिभागी शामिल हुए थे।

 

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