भाजपा के प्रवेश वर्मा, तरविंदर मारवाह ने केजरीवाल और सिसोदिया को हराकर बड़ा उलटफेर किया
नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवेश वर्मा और तरविंदर सिंह मारवाह सबसे बड़ा उलटफेर करने वाले नेता के रूप में उभरे हैं जिन्होंने क्रमश: नयी दिल्ली और जंगपुरा विधानसभा क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को हरा दिया।
नयी दिल्ली सीट पर कड़े त्रिकोणीय मुकाबले में वर्मा को 30,088 वोट मिले, जबकि केजरीवाल को 25,999 वोट मिले। कांग्रेस के संदीप दीक्षित 4,568 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
पश्चिमी दिल्ली से दो बार सांसद रहे वर्मा ने भाजपा द्वारा आधिकारिक तौर पर उनकी उम्मीदवारी घोषित किए जाने से पहले ही केजरीवाल के खिलाफ अपना अभियान शुरू कर दिया और खुद को दिल्ली के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री के लिए मुख्य चुनौती के रूप में पेश किया।
केजरीवाल पर उनकी जीत से न केवल राजधानी में भाजपा के सबसे प्रमुख जाट नेताओं में से एक के रूप में उनका कद बढ़ गया है, बल्कि मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार के रूप में उनकी स्थिति भी मजबूत हो गई है।
प्रबंधन में स्नातक वर्मा युवावस्था से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से शुरुआत की और फिर भाजपा में शामिल हुए।
वर्ष 2014 और 2019 में पश्चिमी दिल्ली से लगातार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने से पहले वह 2013 में महरौली से विधायक बने।
वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य वर्मा अपने पिता (दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा) द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वाभिमान’ के माध्यम से सामाजिक कार्यों में भी शामिल रहे हैं।
वहीं, एक अन्य बड़े उलटफेर में भाजपा के मारवाह ने जंगपुरा निर्वाचन क्षेत्र में सिसोदिया को 675 मतों के मामूली अंतर से हराया। मारवाह को 38,859 वोट मिले, जबकि सिसोदिया को 38,184 वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार फरहाद सूरी को 7,350 वोट मिले।
आप के प्रमुख रणनीतिकार और पार्टी के शिक्षा सुधारों का चेहरा रहे सिसोदिया दिल्ली आबकारी नीति मामले में 2023 में अपनी गिरफ्तारी के बाद 17 महीने जेल में बिताने के बाद चुनावी राजनीति में लौट आए थे।
अगस्त 2024 में जमानत पर रिहा होने के बाद उन्होंने शिक्षा और शासन पर केंद्रित एक अभियान का नेतृत्व किया।
हालांकि, पटपड़गंज के बजाय जंगपुरा सीट से सिसोदिया के चुनाव लड़ने के कदम से अटकलें तेज हो गईं, विरोधियों ने उन पर सुरक्षित सीट हासिल करने का आरोप लगाया। उन्होंने पटपड़गंज से 2020 का चुनाव 3,207 वोट के मामूली अंतर से जीता था।
उनके प्रयासों के बावजूद यह हार आप के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने उन्हें अपने शासन मॉडल के एक स्तंभ के रूप में पेश किया था। चुनाव से पहले, केजरीवाल ने वादा किया था कि अगर आप सत्ता बरकरार रखती है तो सिसोदिया को उपमुख्यमंत्री पद पर बहाल किया जाएगा।
हार स्वीकार करते हुए सिसोदिया ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अच्छी लड़ाई लड़ी और हमने कड़ी मेहनत की। लोगों ने हमारा समर्थन किया लेकिन मैं 600 वोट से हार गया। मैं जीतने वाले उम्मीदवार को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह निर्वाचन क्षेत्र की अच्छी सेवा करेंगे।’’
वर्ष 1959 में नयी दिल्ली में जन्मे मारवाह 2022 में भाजपा में शामिल होने से पहले जंगपुरा से तीन बार (1998-2013) कांग्रेस विधायक रहे थे।
मशहूर सिख नेता के रूप में वह भाजपा के दिल्ली सिख प्रकोष्ठ के प्रमुख हैं। उनका राजनीतिक करियर विवादों से भरा रहा है, जिसमें यह दावा भी शामिल है कि दलबदल से पहले ही कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार कर दिया था।
केजरीवाल और सिसोदिया की हार के साथ भाजपा दिल्ली में भारी जीत की ओर अग्रसर है। 70 विधानसभा सीट में से वह 45 सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है और तीन सीट पर आगे है। वहीं, आप 21 सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है और एक सीट पर आगे है।
नतीजे राजधानी के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं, जो आप के 12 साल के शासन के अंत और 27 साल के बाद दिल्ली में भाजपा की वापसी का संकेत है।