अतिक्रमण का दुष्परिणाम भुगत रहे हैं तमाम ‘वेटलैंड’ : आदित्यनाथ

अतिक्रमण का दुष्परिणाम भुगत रहे हैं तमाम ‘वेटलैंड’ : आदित्यनाथ

गोंडा (उप्र), दो फरवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राकृतिक ‘वेटलैंड’ (आर्द्रभूमि) को पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण केंद्र बताते हुए रविवार को कहा कि तमाम ‘वेटलैंड’ अतिक्रमण में होने के दुष्परिणाम भुगत रहे हैं।

आदित्यनाथ ने दावा किया कि आजादी के 65 वर्षों बाद तक सिर्फ 23 आर्द्रभूमि को ही रामसर स्थलों के रूप में चिह्नित किया गया था, लेकिन पिछले 10 वर्षों में देश में 63 नये स्थलों को रामसर स्थल के रूप में चिह्नित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने 'विश्व आर्द्रभूमि दिवस' पर गोण्डा में 'आर्द्रभूमि का भविष्य, हमारा भविष्य' विषयक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, ''प्राकृतिक वेटलैंड हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं। वे भूजल संरक्षण के लिए, सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता, बाढ़ और सूखे पर नियंत्रण, कार्बन भंडारण और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर वनस्पतियों, वन्य प्राणियों और प्रवासी तथा स्थानीय पक्षियों के संरक्षण के साथ-साथ उनके भोजन औषधि और आजीविका के संसाधन उपलब्ध करवाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।''

उन्होंने कहा, ''अक्सर वेटलैंड को अतिक्रमण की चपेट में ले लिया जाता है। उन पर बेतरतीब निर्माण कार्य होने लगते हैं। इससे वहां का पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। आज इसका दुष्परिणाम तमाम वेटलैंड भुगत रहे हैं। बहुत से जीवों और जंतुओं की प्रजातियां इसके कारण नष्ट होती हैं।''

आदित्यनाथ ने कहा, ''इसी को ध्यान में रखकर वर्ष 1971 में शुरू हुए रामसर अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड कन्वेंशन में तय हुआ था कि अगर दुनिया को बचाना है तो हमें इस (वेटलैंड के संरक्षण) पर ध्यान देना होगा। रामसर ईरान में एक स्थल है जहां पर एक इंटरनेशनल कन्वेंशन के माध्यम से 1971 से लगातार कार्यक्रम आयोजित होते हैं और दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया है।''

उन्होंने कहा, ''हमें बताते हुए प्रसन्नता है कि देश की आजादी के बाद 65 वर्षों में मात्र 23 रामसर स्थल ही चिह्नित किये गये थे, मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से पिछले 10 वर्षों में देश में 63 नए स्थलों को रामसर स्थल के रूप में चिह्नित किया गया है।''

मुख्यमंत्री ने कहा, ''वेटलैंड प्रकृति के मूल स्वरूप की ओर ध्यान आकर्षित करने का माध्यम भी बनते हैं। इस मूल स्वरूप के बारे में ही अथर्ववेद में कहा गया है कि माता भूमि पुत्रोहं पृथिव्या। इसका मतलब है कि धरती हमारी माता है क्योंकि हमें जीने के लिए उस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने में मदद करती है। हम सब इसके पुत्र हैं। एक पुत्र के रूप में हमारा दायित्व है कि हम इस प्रकृति मां का संरक्षण करें।''

उन्होंने वर्ष 2070 तक नेट—जीरो उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाने को कहा है। कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करना है। यह तब होगा जब हम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारकों पर रोक लगाएंगे।''

मुख्यमंत्री ने गोंडा में स्थित अरगा और पार्वती आर्द्रभूमि का जिक्र करते हुए कहा, ''यहां अरगा और पार्वती नाम की दो प्राकृतिक आर्द्रभूमि हैं। यह वास्तव में प्रकृति के मूल स्वरूप की ओर हम सब का ध्यान आकर्षित करती हैं।''