सूरत : एनटीपीसी कवास के सीएसआर कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित छात्रों ने रचा इतिहास
जिला स्तरीय कला महाकुंभ में दर्ज किए नाम
एनटीपीसी कवास के नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों ने आज गुजरात की लोकनृत्य परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। 18 जनवरी 2025 को जिला स्तर पर आयोजित कला महाकुंभ प्रतियोगिता में मोरा, कवास, और सुवाली प्रथमिक शाला की तीन टीमों ने क्रमश: टिप्पणी, गरबा और रास नृत्य में जीत दर्ज कर पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया।
जिला स्तर पर आयोजित इस कार्यक्रम में सुवाली प्राथमिक शाला ने रास नृत्य में प्रथम स्थान लाकर जिला स्तर पर अपना नाम दर्ज कर दिया है। वहीं, मोरा प्राथमिक शाला ने टिप्पणी लोकनृत्य में दूसरा और कवास प्राथमिक शाला ने गरबा में तीसरा स्थान हासिल किया।
एनटीपीसी कवास की पहल रमझट 2.0’ के अंतर्गत प्रशिक्षित छात्रों ने कला महाकुंभ प्रतियोगिता की जिला स्तर पर अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। प्रथम स्थान हासिल करने वाले सुवाली प्राथमिक शाला के छात्र अब जिला स्तर की प्रतियोगिता जीतने के बाद राज्य स्तर का सफर करने के लिए काफी उत्साहित हैं। यह न केवल इन छात्रों के लिए बल्कि स्कूल और एनटीपीसी कवास के लिए गर्व का विषय है।
बता दें कि इससे पहले 12 जनवरी को स्थानीय और पारंपरिक नृत्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तालुका स्तरीय कला महाकुंभ प्रतियोगिता का आयोजन चोर्यासी तालुका के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें तीनों स्कूलों के छात्रों ने प्रथम स्थान हासिल किए थे।
एनटीपीसी कवास की सहायता से कुछ ऐसे मिली सफलता
ऐसे लोकनृत्यों में, जिनकी प्रसिद्धि लगातार कम होती जा रही है, प्रथम स्थान हासिल करने की यह सफलता आसान नहीं थी। छात्रों और शिक्षकों के पास नृत्य की तकनीकी समझ और प्रतियोगिता के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे।
एनटीपीसी कवास की सीएसआर पहल ने इस स्थिति को समझते हुए सहयोग प्रदान किया। ‘रमझट 2.0’ कार्यक्रम के तहत छात्रों को दो महीने का प्रशिक्षण दिया गया, उन्हें शिक्षक उपलब्ध कराए गए और नृत्यों की बारीकियां सिखाई गईं। प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद, छात्रों ने यह साबित किया कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
प्रतियोगिता के बाद, मोरा, कवास और सुवाली प्रथमिक शाला के प्रधानाचार्यों ने एनटीपीसी कवास की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि जहां हम इन नृत्यों के बारे में जानते भी नहीं थे, हमारे छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर पूरे चोर्यासी तालुका को गौरवान्वित कर दिया। यह हमारे स्कूलों के लिए ही नहीं, बल्कि गुजरात राज्य के लिए बड़े ही गर्व की बात है। हमारे छात्र लोकनृत्य सीख रहे हैं, जो हालिया समय में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। ये नृत्य हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं और गुजरात की लोक परंपराओं को जीवित रखने का कार्य करते हैं।