चांद पर मानव भेजने की भारत की योजना के बीच सरकार की श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल को मंजूरी
नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण, मानवयुक्त ‘गगनयान’ अभियान और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की योजना के बीच सरकार ने बृहस्पतिवार को कक्षा में भारी अंतरिक्ष यान भेजने के लिए श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल की स्थापना को मंजूरी दे दी।
भारत की नजर वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी पर है और ऐसे में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में बनाया जाने वाला तीसरा प्रक्षेपण स्थल 8,000 टन की मौजूदा क्षमताओं के मुकाबले 30,000 टन वजनी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम होगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,985 करोड़ रुपये की लागत से तीसरा प्रक्षेपण स्थल स्थापित करने को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी, जिसे चार साल की अवधि के भीतर स्थापित करने का लक्ष्य है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) भी विकसित कर रहा है, जिसकी ऊंचाई 91 मीटर होगी। यह 72 मीटर ऊंची कुतुब मीनार से भी ऊंचा होगा।
प्रक्षेपण स्थल को अधिकतम उद्योग भागीदारी के साथ बनाया जाएगा, जिसमें पिछले प्रक्षेपण स्थल की स्थापना में इसरो के अनुभव का पूरा उपयोग किया जाएगा और मौजूदा प्रक्षेपण परिसर सुविधाओं को अधिकतम रूप से साझा किया जाएगा।
बयान में कहा गया कि तीसरे प्रक्षेपण स्थल को चार साल की अवधि के भीतर स्थापित करने का लक्ष्य है।
यह परियोजना उच्च प्रक्षेपण आवृत्तियों और मानव अंतरिक्ष उड़ान तथा अंतरिक्ष अन्वेषण अभियान शुरू करने की राष्ट्रीय क्षमता को मजबूत कर भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी।
आज की तारीख में, भारतीय अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियां पूरी तरह से पहले और दूसरे प्रक्षेपण स्थल पर निर्भर हैं।
पहला प्रक्षेपण स्थल 30 साल पहले पीएसएलवी अभियानों के लिए बनाया गया था और यह छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के लिए भी प्रक्षेपण सहायता प्रदान करता है।
दूसरा प्रक्षेपण स्थल मुख्य रूप से जीएसएलवी और एलवीएम3 के लिए स्थापित किया गया था और यह पीएसएलवी के लिए भी विकल्प के रूप में भी कार्य करता है।
बीस साल से काम कर रहे दूसरे प्रक्षेपण स्थल ने चंद्रयान-3 मिशन सहित राष्ट्रीय अभियानों के साथ-साथ पीएसएलवी/एलवीएम3 के कुछ वाणिज्यिक अभियानों को सक्षम करने की दिशा में प्रक्षेपण क्षमता में वृद्धि की है।