सूरत : वीएनएसजीयू में मीडिया और साहित्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
पांच सत्रों में विशेषज्ञों ने रखे विचार, साहित्य और मीडिया के गहरे संबंधों पर चर्चा
सूरत। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा "मीडिया और साहित्य" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. किशोर सिंह एन. चावड़ा की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें मीडिया और साहित्य से जुड़े प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन विभाग के समन्वयक डॉ. भारत ठाकोर के नेतृत्व में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मुख्य अतिथियों को भगवद्गीता और राम मंदिर की प्रतिकृति भेंट कर किया गया। कुलपति डॉ. चावड़ा ने अपने उद्घाटन भाषण में मीडिया की जिम्मेदारी, डिजिटल मीडिया के प्रभाव, और पत्रकारिता की बदलती भूमिका जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। पांच सत्रों में विशेषज्ञों ने साझा किए विचार
पहला सत्र:
प्रसिद्ध उद्घोषक राम अवतार बेरवा (आकाशवाणी, दिल्ली) ने रेडियो पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने पत्रकारिता में भाषा की भूमिका, प्रस्तुति कौशल और रेडियो में स्थानीयता के महत्व को रेखांकित किया।
दूसरा सत्र:
फिल्म और सेंसर बोर्ड से जुड़े प्रवीण आर्य ने साहित्य, मीडिया और मनोरंजन के बीच संबंध पर बात की। उन्होंने समाचार चैनलों की पत्रकारिता, उद्घोषकों की भूमिका, और समाचारों की सत्यता पर उपभोक्ता विश्वास के मुद्दों पर गहन विचार साझा किए।
तीसरा सत्र:
वृत्तचित्र फिल्म निर्माता अरुणशेखर ने डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की विषय-वस्तु, निर्माण प्रक्रिया और उनके सामाजिक प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने साहित्य, संस्कृति और कला के महत्व पर भी जोर दिया।
चौथा सत्र:
डॉ. सुजाता मिश्रा ने साहित्य और सिनेमा के आपसी संबंधों की व्याख्या की। उन्होंने साहित्यिक कृतियों पर आधारित हिंदी फिल्मों, उनकी सामाजिक प्रभावशीलता और निर्माण प्रक्रिया के अंतर पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पांचवां सत्र:
माधव चंद्रा (ईएमआरसी, सागर विश्वविद्यालय) ने वीडियो प्रोडक्शन और दृश्य माध्यमों के तकनीकी पक्षों पर गहन चर्चा की। उन्होंने कैमरा कार्य, डॉक्यूमेंट्री निर्माण, और भारत की प्रसिद्ध डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का उल्लेख किया।
कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और संगोष्ठी के सफल आयोजन पर सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों को बधाई दी।
यह संगोष्ठी साहित्य और मीडिया के बढ़ते संबंधों और उनके सामाजिक प्रभाव को समझने का एक मंच साबित हुई। विशेषज्ञों के विचारों ने इन दोनों क्षेत्रों के आपसी तालमेल और भविष्य की संभावनाओं पर एक नई दृष्टि प्रदान की।