मप्र : ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ गिरोह को कमीशन पर मुहैया कराया बैंक खाता, चार विद्यार्थी गिरफ्तार
इंदौर, 17 दिसंबर (भाषा) लोगों को फर्जी तौर पर "डिजिटल अरेस्ट" करके उन्हें चूना लगाने वाले गिरोह को बैंक खाता मुहैया कराने के मामले में इंदौर पुलिस ने मंगलवार को चार विद्यार्थियों को गिरफ्तार किया। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अपराध निरोधक शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार त्रिपाठी ने संवाददाताओं को बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रोहन शाक्य, आयुष राठौर, निलेश गोरेले और अभिषेक त्रिपाठी के रूप में हुई है।
उन्होंने बताया कि चारों आरोपी महाविद्यालयों के छात्र हैं जिनमें बी. टेक. (कम्प्यूटर साइंस) का एक और बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के दो विद्यार्थी शामिल हैं।
डीसीपी ने बताया कि शाक्य और राठौर सीहोर के रहने वाले हैं, जबकि गोरेले और त्रिपाठी भोपाल से ताल्लुक रखते हैं।
त्रिपाठी ने बताया कि शाक्य के बैंक खाते में साइबर ठगी के 15 लाख रुपये भेजे गए थे जिनमें से 10 लाख रुपये निकाल लिए गए थे।
उन्होंने बताया कि शाक्य से पूछताछ में तीन अन्य आरोपियों की पहचान हुई जो साइबर ठगी गिरोह को कमीशन के आधार पर बैंक खाते मुहैया कराने में कथित तौर पर शामिल हैं।
डीसीपी ने बताया कि शाक्य के बैंक खाते में पांच लाख रुपये जमा मिले हैं और इस खाते के जरिये लेन-देन पर रोक लगा दी गई है। उन्होंने बताया कि शाक्य ने इस बैंक खाते को कथित रूप से कमीशन के आधार पर साइबर ठग गिरोह को उपलब्ध कराया था।
त्रिपाठी ने बताया,‘‘गिरोह के लोग बैंक खातों को कमीशन के आधार पर हासिल करने के बाद पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। यहां तक कि जिस व्यक्ति के नाम पर खाता खोला गया है, उसे भी बाद में पता नहीं चल पाता कि इस खाते के जरिये किस तरह का लेन-देन हो रहा है?’’
उन्होंने बताया कि चारों आरोपियों को इंदौर की 59 वर्षीय महिला को फर्जी तौर पर ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ करके उससे 1.60 करोड़ रुपये की ठगी के मामले की जांच में मिले सुरागों के आधार पर गिरफ्तार किया गया।
डीसीपी ने बताया कि इस मामले में अलग-अलग राज्यों के सात लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
"डिजिटल अरेस्ट" साइबर ठगी का नया तरीका है। हालांकि, "डिजिटल अरेस्ट" जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।